गुरुवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंचे

जोधपुर, झालामंड के श्रीयादे माता मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा सुनाते ऋषिराज महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के गुणों और उनकी सुंदरता पर मुग्ध होकर रूकमणी ने मन ही मन निश्चित किया कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी को भी पति रूप में वरण नहीं करेगी।

उधर,भगवान श्रीकृष्ण को भी इस बात का पता हो चुका था कि विदर्भ नरेश भीष्मक की पुत्री रूकमणी परम रूपवती तो है ही, परम सुलक्षणा भी है। भीष्मक का बड़ा पुत्र रुक्मि भगवान श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था। वह बहन रूकमणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था, क्योंकि शिशुपाल भी कृष्ण से द्वेष रखता था। भीष्मक ने अपने बड़े पुत्र की इच्छानुसार रुकमणी का विवाह शिशुपाल के साथ ही करने का निश्चित किया। उसने शिशुपाल के पास संदेश भेजकर विवाह की तिथि भी निश्चित कर दी। रुकमणी को जब इस बात का पता लगा, तो वह बड़ी दुखी हुई। उसने अपना निश्चय प्रकट करने के लिए एक ब्राह्मण को द्वारिका श्रीकृष्ण के पास भेजा और संदेश दिया कि हे नंद-नंदन आपको ही पति रूप में वरण किया हैं। मैं आपको छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ विवाह नहीं कर सकती। मेरे पिता मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं। विवाह की तिथि भी निश्चित हो गई है। मेरे कुल की रीति है कि विवाह के पूर्व होने वाली वधु को नगर के बाहर गिरिजा का दर्शन करने के लिए जाना पड़ता है। मैं भी विवाह के वस्त्रों में सज-धजकर दर्शन करने के लिए गिरजा के मंदिर में जाऊंगी। मैं चाहती हूं, आप गिरिजा मंदिर में पहुंचकर मुझे पति रूप में स्वीकार करें। यदि आप नहीं पहुंचेंगे तो मैं अपने प्राणो का परित्याग कर दूंगी। रुकमणी का संदेश पाकर भगवान श्री कृष्ण रथ पर सवार होकर शीघ्र ही कुण्डिनपुर की ओर चल दिए। इसके बाद श्रीकृष्ण ने रुकमणी के साथ विवाह किया। कथा के आयोजक मनमोहन दुबे सहित नगर के बड़ी संख्या में श्रृद्धालु कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर अध्यक्ष नेमीचन्द तेनगरिया, पुखराज बटाणिया,सोहनलाल सिनावडिया, रमेश ऐणिया, शकरलाल सिगरवाल , दयाल सिनावडिया व मनोज सिनावडिया इत्यादि उपस्थित थे। महासचिव शंकरलाल सिगरवाल ने बताया कि शुक्रवार 7 बजे को खुशबू कुम्भट एण्ड पार्टी द्धारा विशाल भजन संध्या का आयोजन होगा।