आयुष चिकित्सा पद्धति से मातृ शिशु मृत्यु दर पर नियंत्रण किया जा सकता है-प्रो.फारूकी
- सुरक्षित प्रसव व स्वस्थ संतान प्राप्ति में शास्त्रोक्त गर्भोपक्रम की महत्ती भूमिका-प्रो.प्रजापति
- आयुर्वेद विवि के स्त्री एवं प्रसूति तंत्र विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी “गर्भोपक्रम” का शुभारम्भ
- बांग्लादेश की हमदर्द यूनिवर्सिटी से आयुर्वेद के क्षेत्र में शोध कार्य हेतु आयुर्वेद विवि.के साथ एमओयू
जोधपुर,आयुष चिकित्सा पद्धति से मातृ शिशु मृत्यु दर पर नियंत्रण किया जा सकता है-प्रो.फारूकी। डॉ.सर्व पल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के संघटक महाविद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद के स्नातकोत्तर प्रसूति तंत्र एवं स्त्री रोग विभाग एवं “काश्यपी आयुर्वेद गाएनेकोलॉजी,आब्सटेट्रिक्स फाउंडेशन राजस्थान एसोसिएशन (केएजीओएफ) के संयुक्त तत्वाधान में “गर्भोपक्रम-2024” राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हमदर्द यूनिवर्सिटी बांग्लादेश के कुलपति प्रो.फारुकी- उज़ ज़मान एवं आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रो.(वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति की उपस्थिति में हुआ।राष्ट्रीय सेमीनार गर्भोपक्रम के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि फारूकी उज़ ज़मान ने कहा कि आयुष चिकित्सा पद्धतियों के सहयोग से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर नियंत्रण किया जा सकता है तथा मातृ एवं शिशु के स्वास्थ्य संवर्धन में आयुर्वेद की महत्ती भूमिका है। कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रो.(वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने कहा कि किसी भी संगोष्ठी की सफलता तभी संभव है जब उसके सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। समाज के उत्थान में महिलाओं की भूमिका अहम है। सुरक्षित प्रसव,बुद्धिमान एवं स्वस्थ संतान की प्राप्ति में आयुर्वेद में वर्णित शास्त्रोंक्त गर्भोपक्रम का युगानुरूप संदर्भ में उपयोग किया जाना चाहिए। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य महिलाओं में गर्भाधान के पूर्व से लेकर गर्भावस्था एवं स्वस्थ संतान के लिए एक प्रोटोकॉल बनाना है।
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इस अवसर पर महिलाओं में गर्भाधान के पूर्व से लेकर एवं स्वस्थ संतान तथा गर्भावस्था में स्वास्थ्य संवर्धन हेतु प्रीनेटल किट-सुगर्भ जारी किया गया। शास्त्रोक्त जड़ी बूटियों से निर्मित इस किट में बला,कंटकारी,ब्रह्तीद्वय, अन्सुमती,शालपर्णी,यव,पाषाणभेद एवं शतावरी आदि द्रव्य हैं,यह गर्भवती के स्वास्थ्य को बनाये रखने में सहायक है और गर्भ के उचित विकास और वृद्धि को सुविधा जनक बनाती है। यह गर्भावस्था सम्बन्धित अन्य जटिलताओं को रोकने में और उचित स्तनपान के लिए लाभदायक है। इसके अतिरिक्त यह आसान प्रसव एवं स्वस्थ गर्भावस्था के लिए उपयुक्त है। यह विश्वविद्यालय के संजीवनी चिकित्सालय में महिलाओ को क्षीर पाक विधि से बनाकर दिया जायेगा
इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में हमदर्द इंस्टिट्यूट ऑफ़ यूनानी व आयुर्वेदिक मेडिसिन, हमदर्द यूनिवर्सिटी बांग्लादेश के कुलपति प्रो.फारुकी उज़ ज़मान,डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के कुलपति प्रो.(वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए, जिससे आयुर्वेद विज्ञान में शोध एवं चिकित्सा के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
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सोवेनियर का विमोचन
आयोजन सचिव प्रो.ए.नीलिमा रेडी ने बताया कि संगोष्ठी के प्रथम दिन 3 प्लेनरी सेशन में 6 कीनोट स्पीकर ने व्याख्यान दिया। प्लेनरी सेशन के चेयर पर्सन प्रो.इना शर्मा विभागाध्यक्ष आयुर्वेद महाविद्यालय पपरोला,प्रो. शिल्पा डोंगा विभागाध्यक्ष आयुर्वेद विश्वविद्यालय जामनगर ,मो.बाबुल अख्तर विभागाध्यक्ष हमदर्द विश्वविद्यालय बांग्लादेश थे।अलग- अलग 6 थीम जैसे गर्भिणी परिचर्या, गर्भिणी विकार,गर्भिणी स्वास्थ्य पर विभिन्न सेमीनार हाल में 98 विषय विशेषज्ञों एवं शोधार्थियों ने शोध पत्रों का वाचन किया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में राजस्थान सहित महाराष्ट्र,गुजरात, कर्नाटक,केरल,उत्तर प्रदेश,नई दिल्ली, हिमाचल प्रदेश,तेलन्गाना,गोवा, पंजाब,उत्तराखंड,छत्तीसगढ़ एवं हरियाणा से विषय विशेषज्ञ, कुलसचिव,शोध अध्येता तथा राष्ट्रीय सेमिनार में पीजीआईए,होम्योपैथी, योग एवं नैचुरोपैथी महाविद्यालय के संकाय सदस्य एवं स्नातकोत्तर अध्येता उपस्थित थे।
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कार्यक्रम के प्रारंभ में धन्वन्तरी पूजन एव विश्वविद्यालय कुलगीत का वाचन किया गया। मुख्य अतिथि प्रो. फारूकी उज़ ज़मान व प्रो.प्रदीप कुमार प्रजापति का आयोजन अध्यक्ष प्रो.महेंद्र कुमार शर्मा ने शाल ओढाकर एवं पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। इना शर्मा,प्रो.बी पुष्प लता का आयोजन सचिव प्रो.ए.नीलिमा रेडी, संयुक्त सचिव डॉ.रश्मि शर्मा,डॉ. आशा केपी ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। आयोजन अध्यक्ष प्रो.महेंद्र कुमार शर्मा एवं सचिव प्रो.नीलिमा का डॉ.हेमंत एवं डॉ.आशा केपी द्वारा स्वागत किया गया। इस अवसर पर अतिथियों तथा संकाय सदस्यों ने वृक्षारोपण किया।