भारत को अपने सशस्त्र बलों के शौर्य,साहस और दृढ़ संकल्प पर गर्व है-लोकसभा अध्यक्ष
- अगर कोई देश या आतंकवादी संगठन भारत में आतंक फैलाता है, तो उसके परिणाम ऑपरेशन सिंदूर से भी ज़्यादा गंभीर होंगे
- राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में हम सामूहिक हित की भावना से आगे बढ़ें
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के स्पष्ट लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है
- भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी सम्मान और स्वाभिमान के लिए बहादुरी से लड़ने की प्रेरणा दी
- विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए सामूहिक प्रयास,प्रौद्योगिकी,प्रतिस्पर्धा और कौशल विकास महत्वपूर्ण हैं
- लोक सभा अध्यक्ष ने जमशेदपुर में सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित किया
नई दिल्ली/जमशेदपुर,भारत को अपने सशस्त्र बलों के शौर्य,साहस और दृढ़ संकल्प पर गर्व है-लोक सभा अध्यक्ष।राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत के दृढ़ संकल्प और आतंकवाद के विरुद्ध कड़े रुख पर जोर देते हुए,लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भारत के सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता और वीरता की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत को अपने सशस्त्र बलों के शौर्य, साहस और दृढ़ संकल्प पर गर्व है। उन्होंने आगाह किया कि यदि कोई देश या आतंकवादी संगठन भारत में आतंक फैलाता है,तो इसके परिणाम ऑपरेशन सिंदूर से भी अधिक गंभीर होंगे। उन्होंने कहा कि भारत ने न केवल अपने आंतरिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया है,बल्कि इस संबंध में दुनिया को एक स्पष्ट और दृढ़ संदेश भी दिया है। उन्होंने यह आग्रह भी किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में हम सामूहिक हित की भावना से आगे बढ़ें।
बिड़ला ने सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्लेटिनम जुबली समारोह में उपस्थित विशिष्ट लोगों को संबोधित करते हुए आज ये टिप्पणियां की।लोक सभा अध्यक्ष के तौर पर झारखंड की अपनी पहली यात्रा पर आए बिड़ला ने रांची के बिरसा चौक पर भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धासुमन अर्पित किए और बिरसा मुंडा संग्रहालय भी गए। इस अवसर पर बिड़ला ने देश के विकास में आदिवासी समुदाय के योगदान की सराहना की।
बिड़ला ने झारखंड की धरती को नमन करते हुए कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां से देश को भगवान बिड़ला मुंडा और जमशेदजी टाटा जैसे महानुभाव मिले। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी सम्मान और स्वाभिमान के लिए बहादुरी से लड़ने की प्रेरणा दी। बिड़ला ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जमशेदजी टाटा ने अपने विजन से स्वतंत्रता से बहुत पहले भारत के औद्योगिक विकास की नींव रखी।
रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने में भारत की उल्लेखनीय प्रगति के बारे में बात करते हुए ओम बिड़ला ने कहा कि एक ऐसा देश जो कभी आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहता था,अब रक्षा उपकरणों के निर्माण और यहां तक कि उनके निर्यात में एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि नवाचार और सुदृढ़ नीतियों के चलते यह महत्वपूर्ण बदलाव आया है जिससे भारत के एमएस एमई क्षेत्र और उद्योगों को देश की सुरक्षा को मजबूत करने में प्रत्यक्ष और सार्थक भूमिका निभाने के नए अवसर उपलब्ध हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के स्पष्ट और महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश की बढ़ती सैन्य शक्ति हमारे देश के औद्योगिक क्षेत्र की प्रतिबद्धता और क्षमताओं की मजबूत नींव पर टिकी है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आजादी के 100 साल पूरे होने पर वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का हमारा विजन है और विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए तथा प्रौद्योगिकी, प्रतिस्पर्धा और कौशल विकास का उपयोग करना चाहिए जो इस मिशन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत इसके कुशल युवा हैं। यह टिप्पणी करते हुए कि तेजी से बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था में जहां प्रतिस्पर्धा वस्तुओं और सेवाओं से आगे बढ़कर प्रतिभा और नवाचार तक फैली हुई है। भारतीय युवा वैश्विक नेता के रूप में उभर रहे हैं।
इस बात पर जोर देते हुए कि वर्तमान समय में भारत के शैक्षिक क्षेत्र में भी विकास हो रहा है,बिड़ला इस बात का उल्लेख किया कि नई शिक्षा नीति की शुरूआत के साथ, आईआईटी और एम्स जैसे संस्थानों को वैश्विक अनुसंधान और नवाचार केंद्र बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इन संस्थानों को उद्योगों के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि हमारे देश में भी विकसित अर्थव्यवस्थाओं जैसा इकोसिस्टम तैयार किया जा सके। सभी हित धारकों को सूचना प्रौद्योगिकी,हरित ऊर्जा,रक्षा प्रौद्योगिकी और उन्नत विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में मौजूद अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि न केवल बड़ी औद्योगिक संस्थाओं का समर्थन किया जाए,बल्कि अग्रणी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने युवाओं के कौशल संवर्धन,नवाचार और वैश्विक सहयोग में निवेश करने और भारत को सतत और समावेशी विकास का प्रतीक बनाने का आह्वान किया।
सिंहभूम चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के लंबे और गौरवशाली इतिहास की सराहना करते हुए बिड़ला ने कहा कि चैंबर के संस्थापकों ने एक ऐसे मंच की परिकल्पना की थी,जहाँ व्यापार जगत से जुड़े प्रमुख व्यक्ति,उद्यमी और उद्योगपति मिलकर विचारों का आदान-प्रदान कर सकें और आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि चैंबर ने दशकों से क्षेत्र और राष्ट्र के आर्थिक और औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने चैंबर से न केवल एक प्रतिनिधि निकाय के रूप में,बल्किलोकतांत्रिक संवाद के ऐसे मंच के रूप में कार्य करने का आग्रह किया जहाँ निजी क्षेत्र,सरकार और सिविल सोसाइटी मिलकर भारत के औद्योगिक और आर्थिक विकास की योजना बना सकें।
इस अवसर पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ;पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री,अर्जुन मुंडा और संसद सदस्य,बिद्युत बरन महतो और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। रविवार सुबह रांची पहुँचने पर बिरला का रांची हवाई अड्डे पर पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। केन्द्रीय राज्य मंत्री संजय सेठ और झारखंड विधान सभा के अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने बिड़ला की अगुवाई की।