In Sur Bahar, Ustad Ali Ghani gave heights to native music

सुर बहार में उस्ताद अली गनी ने देशी सुरों को दी ऊँचाइयां

जोधपुर,देश-विदेश में मांड गायकी का परचम फहराने वाले बॉलीवुड के नामचीन संगीतकार उस्ताद द्वय अली गनी खां ने आज जोधपुर में अपनी खनकदार आवाज से गजलों व नगमों को ज़िंदा कर दिया। कभी खुशबू कभी आंसू कभी नगमा बन कर हमसे हर शाम मिली तेरा चेहरा बन कर.., मोहब्बत वाले कम न होंगे मगर तेरी महफ़िल में हम न होंगे..,चांद की किरण देखूं कि घटा देखूं आप जब हो महफ़िल में फिर किसी को क्या देखूं..,ज़माना कुछ भी कहे तू इसका ऐतराम न कर, ज़िंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला मुझे..रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आज..इस तरहा मोहब्बत की शुरुआत कीजिये अकेले में मुलाकात कीजिये,जैसी अनेक पुरकशिश शेरो शायरी सहित मीरा,कबीर के लोकप्रिय भजनों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

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In Sur Bahar, Ustad Ali Ghani gave heights to native music

लता मंगेशकर,आशा भोंसले,जगजीत सिंह व पंकज उधास जैसे बड़े गायकों को अपनी संगीत बद्ध रचनाएं गवाने वाले अली गनी बन्धु मूलतः बीकानेर के रहने वाले है। इन्हें हाल ही में संगीत नाटक अकादमी ने सुगम संगीत का अवार्ड देने की घोषणा की है। अली गनी बन्धु ने कार्यक्रम की शुरुआत राजस्थानी मांड से की तथा मांड के अलग-अलग रूपों व रंगों से समा बांधा।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में राज्यमंत्री रमेश बोराणा ने कलाकारों को पुष्पगुच्छ व अकादमी अध्यक्ष बिनाका जेश ने स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन शैला माहेश्वरी ने किया। अकादमी सचिव सूरजमल राव ने बताया कि सुर बहार समारोह के तीसरे दिन युवा पार्श्व गायक रविन्द्र उपाध्याय अपने पूरे ऑर्केस्ट्रा के साथ प्रस्तुति देंगे।

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