विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विषयों में भाषा का महत्व

तकनीकी हिंदी संगोष्ठी 2024 का समापन

जोधपुर,विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विषयों में भाषा का महत्व। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर ने 2 और 3 दिसंबर को संयुक्त रूप से तकनीकी हिंदी संगोष्ठी 2024 का आयोजन किया।

इस आयोजन का विषय “विकसित भारत की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का योगदान” था। यह संगोष्ठी जोधपुर परिसर में आयोजित की गई और इसमें देशभर से तकनीकी विशेषज्ञ, शोधकर्ता,कवि और स्कूली छात्र बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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संगोष्ठी का उद्घाटन दोनों संस्थानों के निदेशकों ने किया। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने इस आयोजन को भारतीय भाषाओं में तकनीकी और वैज्ञानिक संवाद को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

संगोष्ठी का उद्देश्य हिंदी भाषा को तकनीकी और नवाचार के माध्यम के रूप में प्रस्तुत करना था। इस दौरान उन्होंने भारतीय संदर्भ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की संभावनाओं पर जोर दिया।
कार्यक्रम में स्कूली छात्रों के लिए विज्ञान किरण नामक एक विशेष सत्र आयोजित किया गया,जिसमें जोधपुर के विभिन्न विद्यालयों से आए 700 से अधिक छात्र-छात्राओं एवं अन्य ने भाग लिया।

इस सत्र में छात्रों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई संभावनाओं की जानकारी प्राप्त की। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अनिल जोशी,पूर्व उपाध्यक्ष,केंद्रीय हिंदी संस्थान और अध्यक्ष, वैश्विक हिंदी परिवार ने इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे हिंदी भाषा और विज्ञान के आपसी संबंधों को गहरा करने की दिशा में एक उत्कृष्ट पहल बताया।

ऑनलाइन सत्र में बालेंदु शर्मा दाधीच,निदेशक,स्थानीय भाषाएँ और सुगम्यता,माइक्रोसॉफ्ट ने उपस्थित प्रतिभागियों को हिंदी में तकनीकी टूल्स के उपयोग के बारे में जानकारी दी। उनकी प्रस्तुति ने विशेष रूप से छात्रों और तकनीकी कर्मियों का ध्यान आकर्षित किया।

इसके अतिरिक्त,संगोष्ठी में शामिल विशेषज्ञों में प्रो.हेम चंद्र झा (जैवविज्ञान और जैवचिकित्सा अभियांत्रिकी विभाग,आईआईटी इंदौर),प्रो.राजेश कुमार (भौतिकी विभाग,आईआईटी इंदौर),डॉ. अमित गोयल (विभागाध्यक्ष, ओटोरहिनोलेरिंगोलॉजी,एम्स जोधपुर),प्रो.बी.रविंद्र (यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग,आईआईटी जोधपुर)और प्रो.विवेक विजय (गणित विभाग,आईआईटी जोधपुर) ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत काव्य संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें “कविता भारती” संग्रह का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रमुख कवियों आकाश नौरंगी, डॉ.विवेक विजय, डॉ.राजेश कुमार, और शुभम पांडे ‘मुक्त’ ने अपनी कविताओं के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और हिंदी भाषा के महत्व को रेखांकित किया।

संगोष्ठी के दूसरे दिन राजभाषा हिंदी के तकनीकी प्रचार पर एक पैनल चर्चा का आयोजन हुआ। इसमें संगोष्ठी आयोजनकर्ताओं और विशेषज्ञों,जैसे डॉ.राकेश कुमार मिश्र (आईआईटी बीएचयू, वाराणसी) और प्रोफेसर (डॉ.)जनक सिंह मीना (गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, गांधीनगर)ने भविष्य में इस संगोष्ठी के विस्तार और प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा की।

इसके साथ ही एक राजभाषा कार्यशाला का भी आयोजन किया गया,जिसमें डॉ.शैलेश त्रिपाठी, राजभाषा प्रबंधक,ऑयल इंडिया लिमिटेड ने सरकारी कार्यालयों में हिंदी के प्रभावी उपयोग पर जानकारी दी।

कार्यक्रम का समापन आयोजन सचिव डॉ.नितिन भाटिया, राजभाषा अधिकारी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। तकनीकी हिंदी संगोष्ठी 2024 ने न केवल तकनीकी और वैज्ञानिक संवाद में हिंदी की भूमिका को रेखांकित किया बल्कि भारत की प्रगति में भाषा के योगदान को भी मजबूती प्रदान की।