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अजा-जजा एवं घुमन्तु समाज के भूमि अधिकारों को लेकर सरकार संवेदनशील नही-तुलसीदास

अजा-जजा एवं घुमन्तु समाज के भूमि अधिकारों को लेकर सरकार संवेदनशील नही-तुलसीदास

  • ठोस समाधान नहीं किया तो दलित अधिकार नेटवर्क राज्य में भूमि अधिकार को लेकर लम्बा आन्दोलन करेगी
  • दलितों के भूमि विवाद के हजारों प्रकरण वर्षों से लम्बित पड़े हैं

जोधपुर,राज्य सरकार दलितों के भूमि विवाद के प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करे तथा अनुसूचित जाति,जनजाति विकास निधी विधेयक 2022 के तहत 2011 की जनगणना के अनुसार बजट आवंटित करे। राजस्थान में सामाजिक एवं दलित संगठनों के 15 वर्षों के लम्बे प्रयास एवं दबाव के पश्चात सरकार ने राज्य में राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति और जनजाति विकास निधी (योजना,आवंटन और वित्तीय संसाधनों का उपयोग) विधेयक 2022 के नाम से राज्य की अनुसूचित जाति और जनजातियों के समग्र विकास के लिये कानून तो बना दिया है किन्तु उसको लागू करने के लिये नियम अभी तक नही बन पाए, जो चिन्ता का विषय है। वर्तमान में राजस्थान सरकार अपना अन्तिम बजट प्रस्तुत कर रही है। यह बात यहां आयोजित एक प्रेस वार्ता में दलित अधिकार नेटवर्क के प्रदेश अध्यक्ष तुलसीदास ने कही।

उन्होंने कहा कि इस बजट में क्या सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति की 2011 के जनगणना में इन वर्गों के प्रतिशत के अनुसार इन वर्गों के विकास के लिये बजट का प्रावधान करेगी? यह अभी भविष्य की गर्त में है। हम इस संदर्भ में राज्य सरकार को हमारा मांग पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार समाज के कमजोर एवं वंचित वर्गों के समग्र विकास के लिये 2011 के जनगणना में इन वर्गों के प्रतिशत के अनुसार इन वर्गों के विकास के लिये बजट का प्रावधान करे।

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इस विधेयक को लागू करने के लिये नियम बनाने की प्रक्रिया जल्दी प्रारम्भ करे। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति एवं घुमन्तु समाज के भूमि अधिकारों के मुद्दों को लेकर सरकार संवेदनशील नही है। तहसीलदार कोर्ट से लेकर रेवेन्यु बोर्ड स्तर तक दलितों के भूमि विवाद के हजारों प्रकरण वर्षों से लम्बित पड़े हैं किन्तु उसके शीघ्र निस्तारण के लिये सरकार के पास कोई योजना नही है। जिससे इन वंचित वर्गो की कृषि भूमियों पर गैर दलित वर्गों का काश्त चल रहा है। यदि सरकार ने समय रहते इसका ठोस समाधान नहीं किया तो दलित अधिकार नेटवर्क राज्य में भूमि अधिकार को लेकर लम्बा आन्दोलन करेगी।

इन मुद्दों को लेकर उन्होंने अपनी प्रमुख मांगे बताई। उन्होंने कहा राजस्थान काश्तकारी अधिनिमय की साथ ही दलित अधिकार नेटवर्क राजस्थान का कब्जा एवं धारा 183 ए,बी,सी के प्रावधानों का कठोरता से पालना हो और कब्जा मुक्त करवाया जाये। प्रशासन गांवों के संग अभियान की तर्ज पर दलित भूमि अधिकार अभियान चलाकर दलितों की भूमि पर दबंगों के कब्जों वाले प्रकरणों की पहचान करे तथा त्वरित कार्यवाही करे। प्रदेश में काश्तकारी अधिनियम 183 बी के तहत राजस्व न्यायलय, अधिकारी में लम्बित प्रकरणों का डाटाबेस तैयार किया कर निस्तारण किया जाए।

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ये हैं मुख्य मांगे

1-राजस्थान काश्तकारी अधिनिमय की धारा 183 ए.बी.सी के प्रावधानों का कठोरता से पालना हो, प्रशासन गांवों के संग अभियान की तर्ज पर दलित भूमि अधिकार अभियान चलाकर दलितों की भूमि पर दबंगों के कब्जों वाले प्रकरणों की पहचान करे तथा त्वरित कार्यवाही कर भूमि को कब्जा मुक्त करवाया जाए।

2- प्रदेश में काश्तकारी अधिनियम 183 बी के तहत राजस्व न्यायलय, न्यायालय, उपखण्ड अधिकारी में लम्बित प्रकरणों का डाटाबेस तैयार किया जाये तथा ऐसे प्रकरणों की त्वरित सुनवाई कर निस्तारण किया जाए।

3-राज्य को भूमि के विभिन्न पहलुओं से संबंधीत समस्याओं की समीक्षा के लिए एक स्थायी भूमि आयोग शुरू हो। यह आयोग एक स्वतंत्र निकाय होना चाहिए जिसमें राज्य स्तर के कार्यालय और एक स्थायी कर्मचारी हो, जिसमें विभिन्न पृष्ठभूमि के पेशेवरों के नेतृत्व में जो भूमि मुद्दो से संबंधित समस्याओं को समझ और उनका विश्लेषण कर सकते हैं उनको लिया जाए।

4-दलितों की भूमि पर आने-जाने के रास्ते संबंधित विवादों को धारा 251 के तहत दर्ज कर राजस्व रिकार्ड में रास्ता इन्द्राज किया जाए।

5-दलितों की भूमि पर कब्जा करने वाले आरोपियों के विरुद्ध अनुसूचित जाति,जनजाति (अत्याचार निवारण) की धारा 3(1)(च), 3(1) (6) के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करें।

6-दलित भूमि संबंधित विवादों की सुनवाई के लिए प्रदेश में फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित कर मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित की जाए।

7-प्रदेश में भूमिहीन दलितों, आदिवासियों व घुमन्तुओं को जीवन यापन के लिए कम से कम 5 बीघा कृषि भूमि वितरण की जाए।

8- सरकार द्वारा दलितों के आर्थिक विकास के लिए अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत तेलंगाना राज्य की तर्ज पर भूमिहीन दलितों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में कृषि उपयोगी भूमि आंवटित किया जाए।

9-सरकार को गाँव में उपलब्ध सरकारी आवंटित भूमि,सामान्य भूमि, वन भूमि,सरकारी भूमि और संस्थागत भूमि की पारदर्पिता सुनिश्चित की जानी चाहिए।

10-सुचारू भूमि लेनदेन की सुविधा के लिए भूमि रिकॉर्ड प्रणाली बनाने और गैर दलितों द्वारा भूमि हड़पने की समस्या से निपटने के लिए सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए।

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