जोधपुर, राजस्थानी भाषा और साहित्य के रचनाकार डिंगल काव्य श्रृंखला के जाने-माने हस्ताक्षर डॉ शक्ति दान कविया का जोधपुर में निधन हो गया। डॉ शक्ति दान कविया अस्सी वर्ष के थे। विगत कुछ समय से डॉ शक्ति दान कविया बीमार चल रहे थे। जोधपुर के निकट बिराई गांव के मूल निवासी डॉ कविया जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग के विभागाध्यक्ष भी रहे। उनके सानिध्य और संरक्षण में राजस्थानी भाषा और साहित्य का प्रसार भी हुआ। डॉ काव्या के निधन से जोधपुर सहित प्रदेश के राजस्थानी साहित्यकारों ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ व सूर्यमल्ल मीसण शिखर पुरस्कार सहित साहित्य अकादमी नई दिल्ली, राजस्थान साहित्य अकादमी और ब्रजभाषा अकादमी के अनेकानेक शिखर पुरस्कारों से विभूषित आधुनिक राजस्थानी साहित्याकाश के देदीप्यमान नक्षत्र डॉ. शक्तिदान कविया व्यक्तित्व व कर्तृत्व दोनों ही दृष्टियों से अपनी विरल पहचान रखने वाले रचनाकार थे, जिनकी लेखनी गुणीजनों व सुधीजनों के लिए अत्यंत प्रिय रही है। राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण, सर्वेक्षण व संवद्धन की दृष्टि से डॉ. कविया का कार्य अद्वितीय रहा। किसी भी रचनाकार की मूल पहचान उसकी रचनाएं ही हुआ करती है। इस दृष्टि से देखें तो डॉ. कविया सतत अध्ययन करने वाले व सतत सृजनरत रहने वाले रचनाधर्मी थे। अपने उसूलों के पक्के तथा भाषायी शुद्धता व मानकीकरण के प्रबल पक्षधर डॉ. कविया अपनी शैली के अनुपम रचनाकार थे। वैसे तो डॉ कविया के साहित्य सृजन में विविध विषयों का समावेश रहा, लेकिन विशेष रूप से राजस्थानी डिंगल व पिंगल साहित्य उनके सृजन के आधार रहे। डॉ कविया की प्रमुख पुस्तकें संस्कृति री सोरम, राजस्थानी साहित्य का अनुशीलन, डिंगल के ऐतिहासिक प्रबंध काव्य, राजस्थानी काव्य में सांस्कृतिक गौरव, सपूतां री धरती, दारू-दूषण, प्रस्तावना री पीलजोत, पद्मश्री डॉ. लक्ष्मी कुमारी चूंडावत धरा सुरंगी धाट, धोरां री धरोहर, रूंख रसायण, संबोध सतसई, सोनगिर साकौ व गीत गुणमाल इत्यादि रहीं।