जन्मोत्सव पर नेताजी को नागरिकों ने किया नमन

जयपुर, आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी 125वीं जयंती पर पूर्व सैनिकों ने श्रद्धा से याद किया, उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर उनके सपनों को साकार करने की शपथ ली। जयपुर के सुभाष चौक पर निर्माण नगर के सामाजिक कार्यकर्ता के नेतृत्व में बदलता भारत एवं पूर्व सैनिक सेवा परिषद के साथ मिलकर देश का प्रथम पराक्रम दिवस वीरों के वीर सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को जोश के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय इंटरनेसेशनल गुर्जर महासभा के अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष व हिमालय परिवार और प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व सैनिक सेवा परिषद कर्नल देवानन्द गुर्जर थे। कार्यक्रम में जहां जयपुर शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया वहीं महिलाओं व बच्चों ने भी भागीदारी निभाई। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि, पूर्व सैनिक एवं गणमान्य व्यक्तियों का माला पहनाकर स्वागत से किया गया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि व वरिष्ठ नागरिकों द्वारा दीप प्रज्वलित कर कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसी कड़ी में बारी बारी से सैकड़ों की संख्या में नागरिकों ने सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन करते हुए आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि कर्नल देव आनंद गुर्जर ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती को भारत सरकार द्वारा पराक्रम दिवस घोषित करने को सराहनीय कार्य बताते हुए केंद्र सरकार का धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस के योगदान एवं इंडियन नेशनल आर्मी का गठन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इंडियन नेशनल आर्मी के पराक्रम की चर्चा एवं ब्रिटिश साम्राज्य में किस प्रकार से बर्मा के युद्ध में खौफ पैदा किया और अंततः अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया। उन्होंने यह भी बताया कि सुभाष चंद्र बोस 21 अक्टूबर 1943 में बनी भारत की पहेली सरकार के पहले प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए देश के युवाओं में भारत माता की सेवा के लिए किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि इस भारत की सरकार को दुनिया के 11 प्रमुख देशों की मान्यता प्राप्त थी। इसकी अपनी ही सेना एवं मुद्रा को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त थी। 60,000 की संख्या वाली इंडियन नेशनल आर्मी के युद्ध के दौरान 26000 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए जो दुनिया के इतिहास में एक अनोखा उदाहरण है। इस मौके पर पूर्व सैनिक मेजर जनरल आरएस शेखावत ने अपने विचार रखते हुए सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि इंडियन नेशनल आर्मी के जवानों ने बहादुरी के बहुत सारे परचम लहराए, युद्ध उपरांत क्लिमेंट एटली ने सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि अंग्रेजों के भारत की जमीन छोड़ने का मुख्य कारण सुभाष चंद्र बोस एवं ट्रायल के दौरान हुई सेना में बगावत थी। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के साहस और पराक्रम ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई शक्ति प्रदान की। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अपने करिश्माई नेतृत्व से देश की युवाशक्ति को संगठित किया। स्वतंत्रता आन्दोलन के ऐसे महानायक को देश का कोटि-कोटि नमन।
राष्ट्रगान के साथ भारत माता की जय के नारे और सुभाष बाबू अमर रहे की आवाज के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम में सुरेंद्र पारीक भूतपूर्व एमएलए, रामप्रसाद, किशोरी लाल,अशोक जैन, जितेंद्र, हवलदार अजीत गुर्जर, कैप्टन शर्मा, कप्तान नरेंदर, कमांडर बनवारी, कमांडर शर्मा सूबेदार मेजर गोपाल सिंह, वारंट ऑफिसर डाल सिंह, सूबेदार मेजर गोपाल सिंह, प्रताप सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।