अहिल्या उद्धार व जगत जननी सीता स्वयंवर प्रसंग में श्रद्धालु भावविभोर

नौ दिवसीय श्रीराम कथा का पांचवां दिन

जोधपुर,गणेश महोत्सव के उपलक्ष्य में सूरसागर की कृष्णा वाटिका में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन मानस मर्मज्ञ संत मुरलीधर ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के बालकांड में वर्णित अहिल्या उद्धार व जगत जननी मां सीता के स्वयंवर प्रसंग के तहत भगवान राम एवं लक्ष्मण के जनकपुर नगर भ्रमण के प्रसंग को बड़े ही भाव के साथ सुनाया।

प्रसंग के अनुसार कहा कि जब जड़ता ग्रस्त पाषाणी अहिल्या को त्रेतायुग में भगवान राम ने चैतन्य कर दिया, तब संत शिरोमणि कवि कुल तिलक गोस्वामी तुलसीदास ने प्रभु के चरणों में आ‌र्द्र स्वर मे प्रार्थना की, ‘प्रभु मेरे पास भी एक अहिल्या है,जो नित्य प्रति हजारों-हजार गलतियां करती है, आप कृपा करके उसका उद्धार करें।’ मानव मात्र के प्रति करुणा के भाव से गोस्वामी ने प्रभु से अनुरोध किया, ‘कलयुग से ग्रस्त हमारी बुद्धि अत्यंत अपवित्र और जड़ हो गई है। आपकी कृपा से ही उसकी चेतना संभव है। उन्होंने कहा कि बुद्धि से बढ़कर कोई वरदान नहीं हो सकता। ईश्वर की संरचना में अहिल्या सर्वश्रेष्ठ सुंदरी थीं।

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जब वह विवाह योग्य हुईं, तब बुद्धि और विवेक के देवता ब्रह्मा ने उनका विवाह गौतम ऋषि से कर दिया। स्वर्ग के राजा इंद्र के हृदय में अहिल्या को पाने की तीव्र उत्कंठा थी और जब उसकी कामना पूर्ण नहीं हुई, तब उसने छलपूर्वक अहिल्या को पाने का प्रयास किया और उसमें वह सफल हुआ।

अंततोगत्वा इंद्र और अहिल्या शाप ग्रस्त हो गए। शापमोचन का उपाय भी महर्षि गौतम ने भगवान राम के विवाह प्रसंग से जोड़ा। संत ने स्मरण कराया कि कितनी भी कुशाग्र बुद्धि क्यों न हो पर यदि वह पवित्र नहीं है या फिर स्वार्थ और अहम से ग्रस्त है तो सही निर्णय लेने मे व्यक्ति असमर्थ हो जाता है। यही उसके विकास में बाधा बन जाती है।
मानस की सुंदर संगीतमय चौपाइयां सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध नजर आए।

कथा के यजमान पूर्व महापौर राजेन्द्र कुमार गहलोत व रमा गहलोत ने मानस पूजन कर कथा का शुभांरभ किया। इस अवसर पर आरएसएस के प्रांत प्रचारक योगेश कुमार, केआर डऊकिया, मनोहर पालीवाल, मनोज जयसिंघानी, गोपाल पुरोहित, संतोष गहलोत सहित विभिन्न मानस प्रेमी उपस्थित थे।

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