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शिव कथा के प्रथम दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब

  • दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से शिव कथा अमृत का आयोजन
  • चौपासनी गार्डन में चल रही है शिव कथा

    जोधपुर,शहर के चौपासनी गार्डन में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से शिव कथा अमृत का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आशुतोष की शिष्या कथा व्यास साध्वी गरिमा भारती ने कथा वाचन किया। प्रथम दिन की कथा कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

कथा में साध्वी गरिमा भारती ने कहा भगवान शिव सृष्टि के कण-कण में  स्पंदनशील है। भगवान शिव की वैश्विक उपस्थिति भारत के कोने-कोने में पाए जाने वाले ज्योतिर्लिंगों से स्पष्ट होती है। शिव के प्रत्येक नाम,उनकी वेशभूषा,उनका आचरण हमें इस समाज के किसी न किसी पक्ष से संबंधित ज्ञान प्रदान करता है। भगवान शिव के समुद्र मंथन के समय हलाहल विष का पान करने की लीला एक संदेश देती है कि हमें हमारे अंतःकरण में ज्ञान के मंथनी के माध्यम से मंथन कर विषय विकारों को बाहर निकाल कर घट में परमात्मा के अमृत को प्राप्त करना है। आज प्रत्येक मानव अपने भीतर के विषय विकारों की अग्नि में ही जलकर अशांत है। उस शांति की प्राप्ति हेतु प्रत्येक मानव को घट में अमृत को प्राप्त करना होगा।

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हमारे शास्त्र ग्रंथों के अनुसार मानव का शरीर पांच तत्वों से निर्मित है और उसके मस्तक रूपी भाग आकाश तत्व से बना है। जिस आकाश को गगन मंडल भी कहा जाता है। जिस गगन मंडल में अमृत का कुंड है जहां ब्रह्म का वास है। जिस प्रकार हम भगवान शिव के मस्तक पर गंगा को सुशोभित देखते हैं। गंगाजी के जल को अमृत कह कर के संबोधित किया जाता है यह हमारे मस्तक रुपी गगन मंडल में अमृत का कुंड है उसे प्राप्त करने का संदेश देती है। यदि हम उस अमृत के धार को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें एक गुरु की कृपा से अंतर जगत में उतरकर उस अमृत पान की युक्ति को जानना होगा।

साध्वी ने कहा पावन कथा से बढ़कर कोई दूसरा दिव्य ज्ञान रसायन नहीं, जो मानव के जीवन को मुक्ति व सद्गति प्रदान कर सके। इस कथा को सुनकर माता पार्वती भगवान शिव से अमरता का वरदान प्राप्त करती है। भगवान शिव के गले में पहने हुए नर मुंड माला प्रत्येक जीव के आवागमन के चक्र को दर्शाती है।

जिस प्रकार माता पार्वती भगवान शिव से ज्ञान प्राप्त कर अमरता को प्राप्त हो गई, शिव भगवान के गले में पहने नर मुंडो की संख्या 108 पर आ कर रुक गई थी। ऐसे ही हमें भी उस ईश्वर के तत्व स्वरूप से जुड़कर आवागमन के चक्र से मुक्ति को प्राप्त करना है। शिव का प्रतिमा स्वरूप उनके साकार स्वरूप को दर्शाता है तो उनका ज्योतिर्लिंग स्वरूप निराकार स्वरूप की ओर इशारा है। एक तत्व से न जुड़े होने के कारण आज हमारे दृष्टि में भेद है।

कोई भगवान श्रीराम को मानता है तो कोई प्रभु श्रीकृष्ण को, कोई शिव भगवान की पूजा करता है,तो कोई आदि शक्ति मां जगदंबिका की लेकिन वास्तव में दिव्य नेत्र के अभाव के कारण हम इन सब समस्त शक्तियों को अलग-अलग मानकर उनकी पूजा करते हैं। परंतु, यह तत्व स्वरूप से एक ही है। अतिथियों में सुमेर सिंह राजपुरोहित उपाध्यक्ष गौ सेवा आयोग,राजस्थान,भाजपा पूर्व शहर जिलाध्यक्ष जगत नारायण जोशी, जयसिंह चौधरी,जेठमल पुरोहित,जेपी गर्ग,जसवंत कुमावत शामिल थे।

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