एमडीएमएच में हुई गर्दन की अति दुर्लभ गांठ की जटिल सर्जरी
जोधपुर,एमडीएमएच में हुई गर्दन की अति दुर्लभ गांठ की जटिल सर्जरी। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल, मथुरादास माथुर चिकित्सालय में 29 वर्षीय महिला गर्दन के बाऐ हिस्से में गांठ की शिकायत के साथ सह आचार्य एवं यूनिट प्रभारी डॉ.दिनेश दत्त शर्मा की यूनिट में भर्ती हुई। मरीज ने बताया कि उसकी यह गांठ पिछले 5 सालों से है और धीरे-धीरे इसकी साइज बढ़ रही है जिसकी वजह से मरीज की गर्दन एवं कन्धे में दर्द,भारीपन,खाना खाने में दिक्कत, चक्कर आना तथा गर्दन में एक विशेष प्रकार की चुभन महसूस होता है परंतु गले में कैंसर के डर की वजह से वह कहीं भी इलाज नहीं करवा पाई। डॉ. दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि मरीज की जांच करने पर पता लगा कि मरीज की यह एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार की गांठ है,जो एक्सियल श्वान्नोमा का ही रूप है जिसे वेगल श्वानोंमा कहा जाता है। गर्दन में यह गांठ लगभग 20 से 50 लाख जन संख्या में एक जने के होती है। इस गांठ की साइज 5×6×5 सेंटीमीटर थी।
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इस प्रकार की गांठे शरीर की नर्व से निकलती है जिसकी वजह से दर्द जैसी समस्या ज्यादा होती है। चूंकि यह गांठ वेगस नर्व से निकलती है जिसकी वजह से इसे वेगल स्वानोमा कहा जाता है। वेगस नर्व पाचन,हृदय गति,रक्त चाप तथा श्वसन क्रिया की महत्वपूर्ण नर्व है।डॉ दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि जांच में पता लगा कि यह गांठ गर्दन के बहुत ही जटिल जगह पर स्थित थी। यह गांठ कॉमन करौटिड आर्टरी और इंटरनल करौटिड,एक्सटर्नल केरौटेड आर्टरी के जंक्शन तथा दोनो के बीच स्थिति होती है तथा इसके पास में अन्य वाईटल स्ट्रक्चर्स इंटरनल जुगुलर वेंन, सिंपैथेटिक ट्रंक इत्यादि होते हैं जिसकी वजह से वेगल श्वानोंमा का ऑपरेशन करना बहुत ही जटिल हो जाता है।
इसके ऑपरेशन के पश्चात आवाज चेंज होना और वोकल कोर्ड पैरालिसिस होने का खतरा भी बहुत ज्यादा होता है। परन्तु इस कठिन ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया मथुरादास माथुर अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ.दिनेश दत्त शर्मा एवं उनकी टीम ने। ऑपरेशन में गांठ तक पहुंचने के लिए गांठ के आसपास के वाइटल स्ट्रक्चर्स को बड़ी सावधानी से अलग किया गया ताकि मरीज के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके और सर्जरी से होने वाले कॉम्प्लिकेशन रोके जा सके।
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ऑपरेशन के पश्चात मरीज पूर्ण रूप से स्वस्थ है और आराम से बातचीत कर रहा है तथा उसके लक्षणों में भी पूरा आराम है। ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ.अंशुल माथुर,डॉ.राकेश भटनागर एवं डॉ. कुणाल चितारा ने सहयोग किया। बेहोशी की टीम में डॉ.शोभा उज्जवल के साथ डॉ.गीता सिंगारिया, डॉ. गायत्री तंवर,डॉ. रेणुका,डॉ.रेशम, डॉ. यशवंत ने योगदान दिया व नर्सिंग ऑफिसर टीम में वरुण विकास जोशी, रेखा पवार,निर्मला चौधरी एवं सुमेर सिंह राजपुरोहित का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मथुरादास माथुर अस्पताल के अधीक्षक डॉ.नवीन किशोरिया ने बताया कि मथुरादास माथुर अस्पताल में इस प्रकार के जटिल ऑपरेशन निरंतर होते रहते हैं तथा उन्होंने एवं डॉ.रंजना देसाई, प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर ने पूरी टीम को बधाई दी।
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