• ऊंट पालकों के आर्थिक स्तर को उन्नत बनाये रखने के लिए ऊँटनी के दूध से मिल्क प्रोडेक्ट्स बनाकर बेहतर मार्केटिंग की जाए
  • संभागीय आयुक्त ने पशु विशेषज्ञों, वैज्ञानिक व पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ वीसी के माध्यम से की सार्थक चर्चा

जोधपुर, संभागीय आयुक्त डॉ राजेश शर्मा ने कहा कि ऊँट पालकों के आर्थिक स्तर को उन्नत बनाये रखने के लिए ऊँटनी के दूध से मिल्क प्रोडेक्ट्स बनाने व उनकी बेहतर मार्केटिंग पर फोकस किया जाए। संभागीय आयुक्त ने सुमेरपुर उपखण्ड अधिकारी व आईएएस देवेन्द्र के इनोवेशन थीम पर आधारित ऊँट पालकों की आर्थिक स्थिति सुधारने व उन्हें सम्बल प्रदान करने के लिए आयोजित वीसी की अध्यक्षता कर रहे थे। संभागीय आयुक्त ने वीसी में राष्ट्रीय उष्ट्र संस्थान बीकानेर के वैज्ञानिकों, पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ चक्रधारी गौतम, वरिष्ठ पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ संजय रोटे व डेयरी प्रबन्ध निदेशक करूण चंडालिया से इस संबंध में सार्थक व सकारात्मक चर्चा की।

ऊँटनी का दूध में एन्टी आक्सीडेंट
संभागीय आयुक्त ने चर्चा में कहा कि ऊँटनी का दूध आर्गेनिक होता है। उन्होंने कहा कि ऊँटनी ऊंचे पेड़ों के पत्ते खाती है, इससे दूध में अच्छी शुद्धता रहती है, मिल्क एंटी ऑक्सीडेंट होता, इसके विटामिन सी पाया जाता है व इम्यूनिटी बढाना वाला होता है।
मॉर्जिन ऑफ प्रोफिट के प्रोडेक्टस बनाये
संभागीय आयुक्त ने वीसी में कहा कि आज समय की आवश्यकता है कि उंट पालकों के जीवन स्तर को सुधारने व आर्थिक सम्बल मिले इसके लिए ऊंटनी के मिल्क के प्रोडेक्टस बनाएं। उन्होंने कहा कि वही प्रोडेक्टस बनाये जिससे मॉर्जिन ऑफ प्रोफिट होता है, ज्यादा फायदे वाले उत्पाद बनाये। उन्होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रीय उंट अनुसंधान संस्थान बीकानेर का भरपूर फायदा ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में एक बार शुरूआत करेंगे तो फायदेमंद होगा। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ऊंटनी के दूध का कॅामर्सियल तरीके से उपयोग करें।
उंटनी के दूध के लिए डेयरी प्लांट की आवश्यकता
संभागीय आयुक्त ने कहा कि उंटों की उपयोगिता को बनाये रखने व अन्य लाभों को ध्यान में रखते हुए उंटनी के दूध का संस्थागत संग्रहण, प्रसंस्करण व उत्पादकों के निर्माण व विपणन किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उंटनी के दूध के पाउडर की कई देशो में मांग है, इसके लिए अलग अलग स्थानों पर जहां ज्यादा ऊंट हैं वहां फ्रीज ड्राईड मैथड से उंटनी के दूध का पाउडर बनाने के फ्रीज ड्राइड सिस्टम प्लांट लगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि उंटनी का दूध फ्रीज में दो तीन दिन तक रख सकते हैं, यह गाय व भैंस के दूध से अच्छा होता है। उन्होंने बताया कि इसके दूध से बनाया पाउंडर एक वर्ष तक खराब नहीं होता है। संभागीय आयुक्त ने अतिरिक्त निदेशक पशुपालन डॉ चक्रधारी गौतम से कहा कि स्मॉल प्लांट लगाने के संबंध में पूरे प्रोसेस के बारे में ट्रेनिंग आयोजित कराएं। इसके लिए राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र का भी सहयोग लेवें।
ये मिल्क प्रोडेक्टस बन सकते हैं
संभागीय आयुक्त ने वीसी में कहा कि ऊंटनी के मिल्क से कई तरह के प्रोडेक्ट बन सकते हैं। इससे मिल्क पाउडर, चीज, आईसक्रीम बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें डेयरी की महत्ती भूमिका होगी, डेयरी में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, पुख्ता मार्केटिंग की भी व्यवस्था है।
वीसी में सुमेरपुर एसडीएम व आईएएस देवेन्द्र ने कहा कि ऊंट धीरे धीरे कम होते जा रहे हैं। इसके लिए इनके मिल्क प्रोडेक्ट की अच्छी मार्केटिंग से ही पशुपालकों का आर्थिक स्तर सुधर सकता है।
राष्ट्रीय ऊंट संस्थान बीकानेर के वैज्ञानिकों ने वीसी में भाग लेते हुए ऊंटनी के दूध के संबंध में औषधि एवं अन्य उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आरसीडीएफ के दुग्ध संयत्रों में ही ऊंटनी के दूध को फ्रीज ड्राई पाउडर रूप में तैयार किए जाने के लिए यूनिट स्थापित करने की आवश्कता है। वीसी में अतिरिक्त संभागीय आयुक्त अरूण कुमार पुरोहित भी उपस्थित थे।