जोधपुर,भारतीय नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है। ब्रह्म पुराण में मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि बनी। इसलिए यही वो दिन है जब से भारत वर्ष की काल गणना की जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। इसीलिए पंचांग के अनुसार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नववर्ष शुरू हो जाता है।
चैत्र मास को हिंदू वर्ष का पहला महीना होता है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवसंवत्सर आरंभ होता है। इस बार 13 अप्रैल 2021 को विक्रम संवत 2078 को हिंदू नववर्ष मनाया गया। संवत्सर की शुरुआत राजा विक्रमादित्य के द्वारा की गई थी, इसलिए इसे विक्रम संवत कहा जाता है। यह अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है। जहां अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2021 चल रहा है तो वहीं नवसंवत्सर 2078 होगा।
शास्त्रों में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं और इन 60 संवत्सर को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। इनके अलग अलग क्रमशः नाम होते हैं। इस बार नवसंवत्सर 2078 पर 90 साल के बाद अद्भुत संयोग बना। नवरात्रारंभ, चेटीचण्ड, गुडीपड़वा और भारतीय नवसंवत्सर की शुभकामनाएँ देते हुए, इन उत्सवों को भारत विकास परिषद् जोधपुर मुख्य शाखा द्वारा आखलिया चौराहे पर परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सद्स्य अनिल गोयल, अध्यक्ष डॉ प्रभात माथुर, सचिव सुरेश चन्द्र भूतड़ा, वित्तसचिव पुखराज फोफलिया, सह-सचिव अजय माथुर, चान्द रतन मुथा, सीता राम राठी, ज्योति प्रकाश अरोड़ा और गोविंद डागा ने कुंकुम तिलक लगाकर और मिष्ठान्न खिलाकर चौराहे से वाहनों में गुजरते हुए हजारों लोगों का स्वागत किया।