आफरी निदेशक डॉ तरूण कान्त रियाद में होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-16) में भाग लेंगे
जोधपुर,आफरी निदेशक डॉ तरूण कान्त रियाद में होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-16) में भाग लेंगे। शुष्क वन अनुसंधान संस्थान (आफरी) के निदेशक डॉ.तरूण कान्त मरूथलीकरण से निपटने के लिए संयुक्तराष्ट्र (यूएनसीसीडी) के पक्षों के सम्मेलन (कॉप-16) में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए भारतीय प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा होंगे।
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सम्मेलन 2 से 13 दिसंबर तक सऊदी अरब के रियाद में हमारी भूमि,हमारा भविष्य विषय पर होगा। इसके मुख्य फोकस बिन्दु भूमि पुनरूद्धार,सूखे से निपटने की क्षमता,सतत विकास लक्ष्यों के केन्द्र से भूमि रहेंगे। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केन्द्रीय पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव करेंगे।
सम्मेलन में दुनिया के 196 देश व यूरोपियन यूनियन भाग लेंगे।संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन राष्ट्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से मरूस्थली करण का मुकाबला करने और सुखे के प्रभावों को कम करने के लिए एक सम्मेलन है जिसमें अंतराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी व्यवस्था द्वारा समर्थित दीर्घकालिन रणनीतियों को शामिल किया गया है।
रियो सम्मेलन के एजेंडा 21 की सीधी सिफारिश से उपजी कन्वेंशन,17 जून 1994 को पेरिस,फ्रांस में अपनाया गया था और दिसंबर 1996 में लागू हुआ। यह मरूस्थली करण की समस्या को दूर करने के लिए स्थापित एकमात्र अंतराष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी ढांचा है। कन्वेंशन भागीदारी,साझेदारी और विकेंद्रीकरण (सुशासन और सतत विकास की रीढ) के सिद्धांतो पर आधारित है। इसकी 197 पार्टियां हैं जो इसे सार्वभौमिक बनाती हैं।
कन्वेंशन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य भूमि क्षरण तटस्थता प्राप्त करना है जहां पर्यावरण या मानवीय कारकों के कारण होने वाले भूमि क्षरण को रोका जा सकता है और पहले से ही खराब हो चुकी भूमि को बहाल किया जा सकता है। भारत भूमि क्षरण की एक गंभीर समस्या का सामना कर रही है,जिसकी लगभाग 29 प्रतिशत भूमि को निम्नीकृत माना जाता है। इस प्रकिया को 2030 तक पलटना होगा। विभिन्न अनुमानों ने देश में गिरावट की आर्थिक लागत को जीडीपी की 2.54 प्रतिशत पर रखा है।
भारत का 2030 तक मरूस्थली करण का मुकाबला करने का लक्ष्य 26 मिलियन हेक्टेयर है जिसमें वन भूमि,कृषि भूमि और बंजर भूमि है। डॉ.तरूण कान्त,देश के शुष्क क्षेत्रों में मरूस्थलीकरण से निपटने में भारत द्वारा किये गए प्रयासों को साझा करेंगे।