कालबेलिया संगीत और नृत्य उत्सव 5 व 6 नवंबर को

जोधपुर,राजस्थान पर्यटन विभाग एवं यूनेस्को के संयुक्त तत्वावधान में कालबेलिया संगीत और नृत्य उत्सव का कार्यक्रम 5 व 6 नवंबर को होगा। कार्यक्रम में कालबेलिया नृत्य की इस मौजूद विरासत का जीवंत प्रदर्शन 5 व 6 नवंबर को चौपासनी गांव में प्रातः 11 से दोपहर 3 बजे व जसवंतथड़ा में शाम 4 बजे से 7 बजे तक होगा।
कार्यक्रम में दर्शक लोक नृत्यांगनाओं के साथ बातचीत कर उनके अनुभवों की यात्रा और लोक नृत्य के निरंतर अभ्यास के बारे में जान सकेंगे तथा कालबेलिया गीतों व नृत्य की कार्यशाला में भाग ले सकेंगे।

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सुप्रसिद्ध कालबेलिया कलाकार कालूनाथ,सुवा देवी व आशा सपेरा की कला व मनोरम नृत्य प्रदर्शन का आनंद भी ले सकेंगे। यह आयोजन अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने के लिए राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा यूनेस्को के सहयोग से आयोजित की जा रही विभिन्न गतिविधियों का भाग है। उत्सव में राजस्थानी विरासत के बारे ठीक से जानने की व्यवस्था भी की गई है। यहां विरासत की शिक्षा में रुचि रखने वालों के लिए अनुभवी लोक कलाकारों के बीच पारंपरिक संस्कृति व कला को देखने-समझने का मौका मिलेगा। उत्सव के दोनों दिन पश्चिमी राजस्थान के लोक संगीत और नृत्य की प्रस्तुति के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि कालबेलिया गीत और नृत्य 2010 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में शामिल है। स्थानीय भाषा में,‘काल’ का अर्थ सांप और ‘बेलिया’ का अर्थ दोस्ती है। कालबेलिया एक खानाबदोश समुदाय था जो सपेरे के रूप में जीवनयापन करते थे। अब यह समुदाय जोधपुर जिले के चौपासनी प्रतापनगर और धोला क्षेत्र में रहता है। इस समुदाय द्वारा किये जाने वाले नृत्य सांप की गतिविधियों पर आधारित हैं। कालबेलिया नर्तकियां द्वारा पहने जाने वाले अपने हाथों से की गई कशीदाकारी वाले वस्त्रों,स्थानीय पहचान वाले आभूषण तथा पारम्परिक वाद्य यंत्र पूंगी के साथ किये जाने वाले विभिन्न प्रकार की नृत्यकलाओं ने इन्हें विशेष पहचान व प्रसिद्धि दी है।

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