जोधपुर, महात्मा गांधी अस्पताल जोधपुर के डॉक्टरों ने शतप्रतिशत खराब हुए फेफड़ों की पचास वर्षीय रोगी रेशमा का बेहतरीन उपचार कर उनकी जिन्दगी बचाने की कामयाबी हासिल कर उसको नया जीवन देने में सफल हुए हैं।
एमजीएच की अधीक्षक डॉ राजश्री बेहरा ने बताया कि जैसलमेर जिले की भणियाणा उप खण्ड के खामथल गांव की रहने वाली रेशमा को 27 जून को बुखार आया था। इसका पीएचसी बानधेवा एवं निजी चिकित्सालय में जाने के बाद अत्यन्त खराब स्थिति में 9 जुलाई को महात्मा गांधी अस्पताल लाया गया। यहां पर आईसीयू इन्चार्ज डॉ नवीन पालीवाल, डॉ रश्मि श्याल, डॉ विद्या, डॉ रेणु, डॉ अलाक्ष व डॉ अरुण ने उपचार व चिकित्सा की और नर्सिंग इन्चार्ज गिरधारी लाल, राकेश व्यास, विमला, हरीश व हेमन्त चिकित्सा सेवाओँ में प्रमुख सहभागी रहे।
उन्होंने बताया कि जब रेशमा एमजी एच में आई तब उसके शतप्रतिशत फेफड़े डेमेज हो चुके थे और ऑक्सीजन लेवल तीस तक पहुँच चुका था। डॉक्टरों ने उसे तत्काल आई सीयू में एडमिट कर तुरन्त उपचार शुरू कर दिया। चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ ने कड़ी मेहनत कर चिकित्सा के हर सम्भव प्रयास किए और सब ट्यूबों को निकालकर व वेंटिलेटर भी हटा लिया गया है। रेशमा अब पूरी तरह स्वस्थ है।
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रोगी रेशमा के भाई दोसू खान ने बताया कि रेशमा को 27 जून को बुखार आया और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बांधेवा में चेकअप करवाया लेकिन तबियत में सुधार नहीं आया तो 2 जुलाई को जोधपुर में निजी अस्पताल में चेकअप करवा कर सी टी स्केन करवाई, सीटी स्कोर 15 आया। किसी निजी डॉक्टर नें ट्रीटमेंट देकर घर भेज दिया मगर तबियत में सुधार नहीं आया और ऑक्सीजन लेवल घटने लग गया। इस पर 4 जुलाई शाम को पोकरण के सरकारी अस्पताल पहुंचे वहा डॉक्टर ने सीटी स्केन जाँच के आधार पर कोरोना पॉजिटिव समझकर भर्ती कर लिया।
रात को ऑक्सीजन लेवल कंट्रोल नहीं हुआ तो 5 जुलाई को मथुरा दास माथुर अस्पताल जोधपुर रेफर कर दिया। वहां डॉक्टरों ने कोरोना की वजह बताकर इसे महात्मा गाँधी अस्पताल के स्पेशल वार्ड में ले जाने की सलाह दी लेकिन इसे एक निजी अस्पताल ले गए। वहां भी कोई सुधार नहीं आया। रेशमा को 9 जुलाई को जिंदगी का अंतिम क्षण मानकर महात्मा गांधी अस्पताल जोधपुर ले गए जहां के डॉक्टरों द्वारा आईसीयू में भर्ती किया गया और इलाज शुरू किया फेफड़े 100 प्रतिशत डेमेज थे हाई फ्लॉफ मास्क से ऑक्सीजन लेवल नहीं पकड़ रहा था तो डबल पाइप हाई पावर ऑक्सीजन मास्क लगाया गया जो 12 दिन तक रहा लेकिन कोई सुधार नहीं आया तो डॉक्टर द्वारा परिजनों को समझाकर 21 जुलाई को वेंटीलेटर लगाया गया और 20 दिन वेंटीलेटर पर आईसीयू वार्ड में रखकर डॉक्टरो ने अपनी मेहनत जारी रखी और गले में छेद करके सीधी ऑक्सीजन नली लगाई और तबियत में सुधार आना शुरू हुआ और आज पूरी तरह से स्वस्थ है और वेंटीलेटर भी हटा लिया गया।
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