आईआईएसएफ 2020 में बोले केंद्रीय जलशक्ति मंत्री, पानी की बर्बादी रोकने को आधुनिक नवाचार की जरूरत

नई दिल्ली, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि युवा वैज्ञानिक नए भारत के निर्माण में जल समृद्धि की हिस्सेदारी मजबूती से निभाने की भूमिका पर काम करें। वर्तमान में जल क्षेत्र के लिए जो तकनीक अपनाई जा रही है, उसे किफायती और उन्नत बनाकर देश को जल समृद्धि की राह पर तेज गति दें। उन्होंने आह्वान किया कि पानी की बर्बादी रोकने को आधुनिक नवाचार खोजें, पानी में नई स्वदेशी तकनीक का आविष्कार करें, ताकि हर घर जल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को तेजी के साथ प्राप्त किया जा सके। मंगलवार को इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (आईआईएसएफ)-2020 के जल चर्चा सेशन में शेखावत ने कहा कि ज्ञान के साथ विज्ञान को जोड़ने वाला देश सदा से शक्तिशाली माना जाता रहा है। ज्ञान और विज्ञान के आधार पर ही दुनिया में भारत की पहचान बनी है। बदलती सोच और बदलती टेक्नोलॉजी के कारण पिछले दशकों में भारत ने हर क्षेत्र में नई ऊचाइंयों को छुआ है। उन्होंने कहा कि विश्व में बेहतर वैज्ञानिकों की पहचान भारतीयों के रूप में की जाती रही है, चाहे वो होमी जहांगीर भाभा रहे हों या फिर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम। यह भी हर्ष का विषय है कि आज विश्व प्रसिद्ध भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस पर इस फेस्टिवल की शुरुआत हो रही है। जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान का नारा देने वाले श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिवस पर इसका समापन होगा।

पारंपरिक विधियों को नई तकनीक से जोड़ें
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने युवा वैज्ञानिकों से कहा कि तमाम ऐसे अनुसंधान हैं, जो देश में हुए हैं, लेकिन उन्हें जमीन पर उतारा नहीं गया है। लैब के अनुसंधान को लैंड (जमीन) पर उतारने का काम करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर में 400 साल पुरानी कुंडी भंडारा तकनीक का जिक्र किया था। यह तकनीक के रूप में अपने तरह का पहला प्रयोग था। तब भी हमारे इंजीनियर्स ने तकनीक का प्रयोग करते हुए जल समृद्धि के लिए काम किया था। उन्होंने कहा कि बांधों की डिसिल्टिंग या अन्य तरीकों से घटती क्षमता को बढ़ाने वाले रास्ते खोजें। वैज्ञानिक पुराने पारंपरिक विधियों और नई तकनीक को जोड़कर देश को जल समृद्ध बनाएं।

जरूरत वाटर रिसोर्सेज को मैनेज करने की
शेखावत ने कहा, देश में जल की कमी नहीं है। हमें 4 हजार बिलियन क्यूबिक मीटर पानी हर साल बरसात या इंटरनेशनल बेसिन से मिलता है, जबकि इसके विपरीत हमारी वाटर होल्डिंग क्षमता 250 बिलियन क्यूबिक मीटर है। विश्व में तमाम ऐसे देश हैं, जहां भारत से कम वर्षा होती है, लेकिन आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से वे पानी के मामले में हमसे बेहतर बने हुए हैं। इजरायल में 94 प्रतिशत पानी को रिसाइकिल किया जाता है, जबकि हमारे यहां तो यह 20 प्रतिशत से कम है। इस रिसाइकिल पानी का 10 प्रतिशत ही हम इस्तेमाल कर पा रहे हैं।

गुणवत्ता युक्त जल अब भी चुनौती
केंद्रीय मंत्री ने भूजल दोहन और जल प्रदूषण के मामले में देश की स्थिति का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता युक्त पानी के मामले में हम 122 देशों में 120 वें नंबर पर हैं। पश्चिम बंगाल में गंगा तट का बड़ा क्षेत्र आर्सेनिक से प्रभावित है तो पंजाब के पानी में यूरेनियम है। राजस्थान में फ्लोराइड के कारण शरीर पर कुप्रभाव पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता युक्त जल अब भी हमारे लिए चुनौती बना हुआ है। इन हालातों के बावजूद इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने हर घर को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए 2024 का लक्ष्य तय किया है। हालांकि, हमारे मंत्रालय ने संकल्प लिया है कि 2022 तक हम देश के सभी ग्रामीण घरों में नल के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाएंगे।

4 लाख वर्ग किमी की हो रही एक्विफर मैपिंग
केंद्रीय मंत्री ने हाई रिजोल्यूशन एक्विफर मैपिंग और प्रबंधन के लिए नए समझौते पर कहा कि उत्तर पश्चिमी भारत के 4 लाख वर्ग किलोमीटर सूखाग्रस्त क्षेत्रों का हाई रिजोल्यूशन एक्विफर मैपिंग और प्रबंधन किया जाएगा। पहले चरण में राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के एक लाख वर्ग किलोमीटर सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में एडवांस हेली बोर्न जियोफिजिकल सर्वे और साइंटिफिक स्टडीज की जाएगी। शेखावत ने कहा कि यह पहला मौका है, जब पांच वर्ष से लगातार आयोजित होने वाले इस फेस्टिवल में जल को चर्चा को शामिल किया गया है। इसके लिए मैं केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन का आभार व्यक्त करता हूं। कार्यक्रम में विज्ञान क्षेत्र से जुड़े देश भर के वैज्ञानिकों के साथ-साथ कई वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे।