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-बुजुर्ग महिला को हाईकोर्ट से राहत

जन्मतिथि में विसंगति के आधार पर पारिवारिक पेंशन रोकना अनुचित

जोधपुर, राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में दिवंगत कार्मिक के सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज जन्मतिथि में विसंगति के आधार पर उसकी पत्नी को पारिवारिक पेंशन से वंचित करने को अनुचित माना है। जस्टिस रेखा बोराणा ने दिवंगत सेवानिवृत्त पुलिस कांस्टेबल की पत्नी की रिट याचिका मंजूर करते हुए पुलिस और पेंशन विभाग को दो महीने में याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन जारी करने के आदेश दिए हैं।

नागौर जिले के डीडवाना तहसील के छोटी छापरी गांव निवासी सुबानी बानो की ओर से अधिवक्ता रजाक खान हैदर ने पैरवी करते हुए कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के पति समन खान ने वर्ष 1964 से 1975 तक भारतीय सेना और फिर बाद में वर्ष 1976 से 1999 तक राजस्थान पुलिस में पाली जिले में कांस्टेबल के पद पर सेवाएं देकर सेवानिवृत्ति ली थी। वर्ष 1999 में विभाग ने उनके पेंशन प्रकरण में यह आक्षेप लगाते हुए केवल प्रोविजनल पेंशन स्वीकृति की कि उनके भारतीय सेना के सर्विस रिकॉर्ड और राजस्थान पुलिस के सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज जन्मतिथि में विसंगति है।

याचिकाकर्ता के पति को वर्ष 1999 से 2015 यानी उनका देहांत होने तक प्रोविजनल पेंशन ही मिलती रही। पति का देहांत होने पर याचिकाकर्ता पत्नी ने पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन किया तो विभाग ने पुराने लम्बित आक्षेप के आधार पर पेंशन जारी नहीं की। उक्त विसंगति कोई दुर्भावनावश नहीं बल्कि लिपिकीय त्रुटि से होना प्रतीत होता है। तीन साल तक पुलिस और पेंशन विभाग के चक्कर काटने के बाद वर्ष 2018 में उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गई। उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने अहम न्यायिक दृष्टांत सुकुमारन बनाम केरल राज्य व अन्य के मामले के अभिनिर्धारित किया है कि पेंशन सेवानिवृत्त कार्मिक की वृद्धावस्था में गरिमामपूर्ण जीवनयापन का जरिया है, इससे किसी कर्मचारी को अनुचित तरीके से खासकर तकनीकी बारीकियों के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता।

सुनवाई के बाद जस्टिस बोराणा ने आदेश में कहा कि यह निर्विवादित है कि राजकीय सेवा में कार्यरत पति के देहांत के बाद उसकी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार है। विभाग ने कार्मिक के सेवाकाल के दौरान जन्मतिथि की विसंगति दूर करने के सम्बन्ध में कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि सेवानिवृत्ति के बाद मृत्यु होने तक कार्मिक को पेंशन दी जाती रही है। इसलिए विभाग अब उसकी पत्नी को पारिवारिक पेंशन से वंचित नहीं कर सकता। पुलिस विभाग अपने सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर दो माह की अवधि में सभी औपचारिकता पूरी करते हुए याचिकाकर्ता को एरियर सहित पेंशन जारी करे।

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