मोबाइल कंपनियों से डाटा जुटाने के साथ, वर्चुअल कॉल का लगाया जा रहा पता

  • ट्रेवल एजेंसी संचालक मामला साइबर
  • एक्सपर्ट के साथ उच्च स्तरीय जांच में कॉलर की पहचान के प्रयास

जोधपुर,ट्रेवल एजेंसी संचालक मनीष जैन को मिले रंगदारी के लिए धमकी भरे कॉल को लेकर कमिश्ररेट पुलिस की साइबर टीमें लगी हैं। कॉल कहां से आया इसके लिए विभिन्न मोबाइल कंपनियों से भी पुलिस ने संपर्क साधना शुरू कर दिया है। कॉलर ने संभवत: इंटरनेट कॉलिंग का सहारा लिया है। पुलिस अब इसमें उच्च स्तरीय जांच में जुटी होने के साथ मामले को प्राथमिकता में रखा है। मनीष जैन के घर के बाहर सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर एक गार्ड को तैनात रखा गया है।

उल्लेखनीय है कि साल 2017 में शहर में कुख्यात अपराधी लारेंस विश्रोई का रंगदारी वसूलने के लिए काफी आतंक मचा था। इस बीच में रंगदारी के खेल में ही इलेक्ट्रानिक व्यवसायी वासुदेव सिंधी की हत्या की गई थी। लारेंस के गुर्गों ने रंगदारी के लिए डॉ. सुनील चांडक, शास्त्रीनगर में एक कारोबारी और ट्रेवल एजेंसी के संचालक मनीष जैन को कॉलिंग के माध्यम से धमकियां दी थी। तत्कालीन पुलिस ने त्वरित कार्रवाईयां करते हुए लारेंस सहित 20 से ज्यादा लोगों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया था। अब एक बार फिर ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले मनीष जैन को इंटरनेशनल कॉलिंग कर रंगदारी की बात सामने आई।

रूपए मांगने वाला अपना बकाया बता रहा है। जबकि मनीष जैन का किसी से लेन देन का कोई विवाद नहीं होना सामने आया है। इंटरनेशनल कॉलिंग करने वाले वर्चुुअल कॉलिंग से 15 लाख की डिमांड की है। अन्यथा अंजाम भुगतने को तैयार रहने को कहा है। मनीष जैन की तरफ से अब फिर शास्त्रीनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करवाई गई है। एसीपी पश्चिम नूरमोहम्मद ने बताया कि न्यू पावर हाऊस रोड स्थित सेक्टर 7 एक्सटेंशन इंद्रा विहार के सामने रहने वाले ट्रेवल एजेंसी चलाने वाले मनीष जैन पुत्र कैलाशचंद्र जैन की तरफ से रिपोर्ट दी गई थी। उनके अनुसार मामले में उच्चस्तर पर जांच की जा रही है।

साइबर टीमों को लगाया गया है। साथ ही विभिन्न कंपनियों से संपर्क कर बदमाश का भी पता लगाने के प्रयास जारी है। मामले को प्राथमिकता में रखा गया है। लारेंस गैंग के गुर्गों को पकड़ऩे में साल 2017-18 में सफलता हासिल की गई थी। तब भी डॉक्टर सुनील चांडक, मनीष जैन और शास्त्रीनगर एक अन्य कारोबारी को जान की धमकियां दी गई थी। उनसे रंगदारी डिमांड के केस प्रतापनगर,चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड एवं शास्त्रीनगर थाने में दर्ज हुए थे। इस बार भी पुलिस को संदेह है कि यह उसी गैंग का हाथ हो सकता है। या कोई हौवा भी फैला सकता है।

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