मैडम को गुस्सा क्यों आता है?
पार्थसारथि थपलियाल
देहरादून में इन दिनों एक अफसर की पत्नी का गुस्सा बहुत चर्चा में है। शास्त्रों में तीन हठ बताये गए हैं। बालहठ,त्रिया हठ और राजहठ। बाल हठ हनुमान जी ने की थी। बाल समय रवि भक्ष लियो तब तीनहुं लोकभयो अँधियारो…राजहठ दुर्योधन की और त्रिया हठ में कैकई और द्रोपदी के नाम इतिहास में अंकित हैं। कैकई (त्रेता में) द्रोपदी (द्वापर में) वे नाम हैं जिनके कारण मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभुराम और कुरुक्षेत्र के महाभारत में अर्जुन के सारथि श्रीकृष्ण को स्वयं आना पड़ा। उस काल में मर्यादा की पढ़ाई संदीपन ऋषि के आश्रम में कृष्ण,सुदामा, कर्ण,अर्जुन,दुर्योधन,दुस्सासन एक साथ विद्या प्राप्त किये थे। आधुनिक प्रशासनिक विद्या आश्रम मसूरी से जो लोग निकलते हैं उनमें अधिकतम जमीन से उठे महामानव होते हैं।
लगता है इसी पद के साथ कबीर का भजन गाएंगे
मतकर काया को अभिमान मतकर माया रो घमंड,
माया गार से काची।……
कभी कभी लगता है भारत के माध्यम वर्ग का जन्म शोषण करवाने के लिए हुआ है। उन्हें समाज का माफिया वर्ग और सरकार का प्रभुताप्राप्त वर्ग जीने नही देता। नागरिकों को अहसान जताते हैं कि हमने तुम्हारे लिए ये कर दिया वो कर दिया। एक बात और सरकारों के जयकारे लगाने वाले और सरकारों को धुत्कारने दोनों अपने अपने ढंग से सोचते हैं कि आज नही तो कल खुश होंगे। निरर्थक सोच।
न जाने कौन अहंकारी अफसर कब आपका ट्रांसफर देहरादून से अल्मोड़ा कर दे। उसके पास पावर होती है। उससे बड़ी पावर उनके पास होती है जो दूरस्थ कठिन क्षेत्र विद्यालय में तैनात किसी अध्यापिका को निलंबित कर दे। ऐसा देहरादून में हुआ। जो चर्चाओं में है। काका हाथरसी की एक कविता है-
एवेरेस्ट पर महिला चढ़ी खड़े हो गए कान
पत्नी पीड़ित डर गए क्या होगा भगवान।।
उत्तराखंड के शासन के उस अधिकारी को लगा कि पत्नी को अपनी पावर दिखाकर अचंभित करना है तो पावर दिखानी चाहिए।आनन फानन में आपा खोया और बदले की भावना में एक डॉक्टर का ट्रांसफर दो घंटे में कर दिया। हुआ यह था कि अफ़सरानी जी की तबियत नासाज थी। अफसर पति ने मेडिकल के बड़े हुक्काम को फरमान सुनाया।ओपीडी में तैनात डॉ निधि उनियाल को फरमाबरदारी का हुक्म हुआ। बीपी नापने के यंत्र गाड़ी में रह गया,जब तक स्टाफ मुड़ता तब तक अफ़सरानी ने अफसर की पत्नी होने का रूप दिख दिया। डॉ लौट आयी। अफसर महोदय ने डॉ का तबादला अल्मोड़ा कर दिया। चाणक्य ने इसीलिए कहा कि जिन लोगों का उदार चरित्र न हो उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर न लगाएं।
सचिव महोदय को पहाड़वासियों पर कभी तरस नही आया कि पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं का नितांत अभाव है। पौड़ी,चमोली,रूद्रप्रयाग में चिकित्सा लयों के जो बोर्ड टंगे हैं वहां से मरीज को देहरादून रेफेर करने की स्टैम्प लगाकर देहरादून भेज देते हैं। ऐसी गतिशीलता आपने कभी नही दिखाई कि पहाड़ में बाघ, भेड़िया, गुलदार, भालू आदि जानवर लोगों को मार रहे हैं, हिंसा कर रहे हैं, पीड़ितों के लिए कोई अच्छी स्वास्थ्य सुविधा का तंत्र स्थापित करते तो अच्छा होता कि जनसेवा के माध्यम से यश कमाते। लोग याद रखते…. हाँ याद तो अब भी रखेंगे। पहाड़ की शांति हिमालय जैसी होती है ऊंची होती है और क्रोध बरसाती नदियों जैसा। हर किसी के स्वाभिमान की रक्षा होनी चाहिए। माननीय देवभूमि में इतना तो समझ लो। गंगा नदी युगों से पुण्यदायिनी है।
भर्तृहरि की ये पंक्तियां बड़े काम की हैं-
रिद्धि को सिमिरौं सिद्धि को सिमिरौं सिमिरौं शारदा माई
अर सिमिरौं गुरु अविनासी को सिमिरौं कृष्ण कनाई।।
सदा अमर यां धरती नि रैयी,मेघ पड़े टूट जाई
अमर नि रैन्दा चंद सुरीज यां, गरण लगे छूट जाई
माता रोये जनम- जनम को,बहन रोये छह मासा
तिरिया रोवे तेरह दिनों तक, आन करे घर बासा
कागज-पत्री हर कोई बांचे, करम न बांचे कोई
राज महल को राज कुंवर जी, करमन जोग लिखाई ना घर तेरा ना घर मेरा, चिड़ियां रैन बसेरा
बाग-बगीचा हस्ती घोड़ा, चला चली का फेरा
सुनरे बेटा गोपिचन जी, बात सुनो चित केलाई
झूठी सारी माया-ममता,जीव-जगत भरमाई।
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