एमडीएमएच में किया अल्ट्रा लोकंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी
जोधपुर,शहर के मथुरा दास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग में 53 वर्षीय पीपाड़ निवासी मरीज़ का अल्ट्रा लो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी (स्टेंटिंग) किया गया। एमडीएमएच के हृदय रोग विभाग में पिछले दिनों अल्ट्रा लो कँट्रास्ट एंजियोप्लास्टी (स्टेंटिंग) प्रोसिजर किया गया। एंजियोग्राफ़ी और एंजियोप्लास्टी में आयोडिनेटेड कँट्रास्ट(डाई)उपयोग में लिया जाता है जिस से हृदय की धमनियों को अंदर से देखा जाता है और स्टेंट की लंबाई और उसका व्यास नापा जाता है।आयोडिनेटेड कंट्रास्ट गुर्दो के लिये नुक़सान दायक हो सकता है और हृदय की कम पंपिंग के मरीजो में भी कंट्रास्ट नुक़सान दायक हो सकता है। सामान्यतया एक एंजियोप्लास्टी में क़रीब 100 मिली कंट्रास्ट का उपयोग होता है जो गंभीर किडनी मरीजो और हार्ट फेलियर वाले मरीजो के लिये घातक हो सकती है। अल्ट्रा लो वॉल्यूम कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी एक ऐसा तरीक़ा है जिसमे एंजियोप्लास्टी को बहुत कम कंट्रास्ट दे कर किया जाता है। इसमें हृदय की धमनियों को अंदर से देखने, स्टेंट के व्यास और लंबाई को नापने और एंजियोप्लास्टी प्रकिर्या की पर्याप्तता को देखने के लिए हृदय की धमनियों में अल्ट्रा साउंड प्रोब डाल कर पूरी धमनी की सोनोग्राफी की जाती है। इसे इंट्रा वास्कुलर अल्ट्रा साउंड कहा जाता है। इस तरह कंट्रास्ट का न्यूनतम उपयोग कर एंजियोप्लास्टी की जाती है।
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शुक्रवार को मथुरा दास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग में भी एक 53 वर्षीय पीपाड़ निवासी मरीज़ का ऐसा एक प्रोसिजर किया गया। मरीज़ का हार्ट अटैक के कारण काफ़ी कमजोर था। हार्ट की पंपिंग सिर्फ़ 15 प्रतिशत थी,इसीलिए मरीज़ को सिर्फ़ दवाई पर रखा गया था क्योंकि इतनी कम पंपिंग के चलते एंजियोग्राफ़ी या एंजियोप्लास्टी से मरीज़ को और नुक़सान हो सकता था। पर मरीज़ को एक बार फिर हार्ट अटैक हो गया, इसीलिए विभागाध्यक्ष डॉ रोहित माथुर ने मरीज़ की एंजियोग्राफ़ी की जिसमे एक मुख्य धमनी (एलएडी) में दो जगह 80-90 प्रतिशत ब्लॉकेज पाये गये।इस मरीज़ की एंजियोप्लास्टी करना एक लाइफ सेविंग प्रोसीजर था पर आयोडिनेटेड कंट्रास्ट इतने कम पंपिंग में मरीज़ के लिए घातक हो सकता था। डॉ माथुर ने इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रा साउंड का उपयोग कर के बिना कोई कंट्रास्ट दिये पूरी एंजियोप्लास्टी की। प्रोसीजर के अंत में केवल 6-8 मिली कंट्रास्ट दे कर डॉक्यूमेंटेशन के लिये दो सिने व्यू लिए गए। मरीज़ प्रोसिजर के बाद पूरी तरह स्वस्थ रहा और अब डिस्चार्ज किया जा रहा है।
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इस प्रोसिजर में डॉ रोहित माथुर,डॉ पवन सारडा,डॉ अनिल बारूपाल,डॉ मनीष,महेंद्र, योगेश,सिमला,शोभा, अशोक,गुणेशा,विकास,जितेंद्र, उर्मिला,संगीता,मैना,इला,गोपेश, करुणा,नंदकिशोर,हरीश,नवीन, हेमलता का सहयोग रहा। मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता डॉ जयराम रावतनी ने बताया कि इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रा साउंड और एंजियोप्लास्टी का ये अल्ट्रा लो कंट्रास्ट वॉल्यूम का प्रोसिजर चिरंजीवी योजना में फ्री किया गया। हृदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ रोहित माथुर ने बताया कि अल्ट्रा लो कंट्रास्ट एंजियोप्लास्टी से गंभीर किडनी मरीजों और हार्ट फेलियर के मरीजों को बहुत लाभ पहुंचाया जा सकता है।
मथुरादास माथुर अस्पताल के अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित और मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ दिलीप कच्छवाहा ने पूरी टीम को बधाई दी और बताया कि मथुरा दास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग में नवीनतम और जटिल से जटिल प्रोसिजर सरकार की विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत फ्री किए जा रहे हैं।
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