व्यापारी को धमका कर 1.13 करोड़ ऐंठने के मामले में दो गिरफ्तार
- साइबर ठगी
- ठगी के रुपयों को उड़ाते शौक मौज में
- लोगों को विश्वास में लेकर कमीशन बांधते
जोधपुर,व्यापारी को धमका कर 1.13 करोड़ ऐंठने के मामले में दो गिरफ्तार।कमिश्ररेट की साइबर थाना पुलिस ने एक्सपोर्ट के व्यवसायी के साथ हुई साइबर ठगी के प्रकरण में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों पर व्यवसायी से 1.13 करोड़ रुपए ठगी किए जाने का आरोप है। वाट्सएप पर फोटो मैसेज भेज कर यह रकम ऐंठी गई थी।
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पुलिस आयुक्त राजेंद्र सिंह ने बताया कि साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं और विभिन्न प्रकार से साइबर एरेस्ट करने वालों की बढ़ती संख्या को गंभीरता से लेते हुए धन्नाराम अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त अपराध एवं सतर्कता तथा जयराम मुण्डेल प्रभारी साइबर पुलिस थाना को इनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही के निर्देश दिए गए है।
एक्सपोर्ट के व्यवसायी को साइबर एरेस्ट कर मैसेज व कॉल कर डरा व धमकाने पर प्रार्थी द्वारा जमा कराये गए रुपए गुजरात के उना जिले का एक फर्जी खाता प्रयुक्त हुआ था। जिसकी तलाश करते हुए जयराम मुण्डेल सहायक पुलिस आयुक्त ने उना जिले के रहने वाले चन्द्रकान्त पुत्र रामजी भाई निवासी कंसारी पुलिस थाना उना गुजरात को गिरफ्तार कर पुलिस अभिरक्षा में लेकर उसे साथ लेकर अन्य शरीक मुल्जिमानों की तलाश गुजरात के अन्य जिलों सूरत,राजकोट व बड़ौदा में की गई।
सूरत से चन्द्रकान्त के सहयोगी महेश किडेचा पुत्र हसमुखभाई सूरत गुजरात को गिरफ्तार किया गया। आरोपी के मोबाइल की जांच की गई तो प्रकरण में प्रयुक्त फर्जी खाता तिरूपति एन्ट्रप्राइजेज खाता धारक चन्द्रकान्त व महेश ने फर्जी तरीके से अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर रुपए जमा करवाने के लिए उपयोग लिया जिसमें परिवादी के लाखों रुपये जमा करवाए और उन रुपयों को अपने मौज शौक में उड़ाया। आरोपी ये काम पिछले कई महीनों से लगातार करते आ रहे है और कई खातों में फर्जी तरीके से रुपये जमा करा कर मौज शौक के लिए प्रयुक्त करते है।
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ऐसे करते थे ठगी की वारदात
आरोपियों के द्वारा कई व्यक्तियों को विश्वास में लेते। उनको साथ रखते तथा मोटा कमिशन दिलवाने की आड़ में आवश्यक दस्तावेज प्रमाण पत्र,संस्था प्रमाण पत्र,जीएसटी प्रमाण पत्र इत्यादि तैयार करवा कर अपने प्रभाव वाली बैंक में चालू खाता खुलवाते। फिर उस खाते को (कॉरपोरेट इन्टरनेट बैंकिंग) से जोड़ कर खाते से संबंधि दस्तावेज एटीम व सिम लेकर खाताधारक के बिना जानकारी के लेनदेन करते थे। फिर उस खाते में जितना भी ट्रांजेक्शन होता उसमें अपना 10 प्रतिशत हिस्सा टेलीग्राम आईडी तथा डाउन लोड एप के द्वारा प्राप्त कर लते थे।खाताधारक को पता चलने से पहले ये लोग उस खाते से रुपये हड़प लेते थे। जिसके बाद घटना प्रयुक्त मोबाइल बन्द कर या सिम निकाल कर घटना स्थल से फरार हो जाते थे।