प्रदेश में बिजली संकट का असर जोधपुर में दिखने लगा

जोधपुर, महंगी बिजली और कोयले की कम आपूर्ति से पैदा हुए बिजली संकट के हालात से जोधपुर भी अछूता नहीं रह गया है। शहर में आज कई स्थानों पर रह रह कर बिजली का आना जाना बना रहा। लोग भीषण गर्मी में पसीने-पसीने होते देखे गए। इतना ही बिजली संकट का असर जोधपुर डिस्कॉम कार्यालय पर भी नजर आया।

गर्मी बढऩे के साथ बिजली की बढ़ी खपत को पूरी करने में जोधपुर डिस्कॉम के अधिकारियों का पसीना निकल रहा है। हालात ऐसे हैं कि आज जोधपुर डिस्कॉम मुख्यालय तक की बत्ती गुल थी। ऐसे में डिस्कॉम के एमडी प्रमोद टाक संडे के अवकाश के बावजूद बगैर बिजली अपने ऑफिस में बैठ स्वयं वितरण व्यवस्था पर नजर रखते हुए नजर आए।

टाक आज ऑफिस पहुंचे तो वहां पर भी बिजली नहीं आ रही थी। ऐसे में उन्होंने खिड़कियां खुलवाई और अपनी सीट पर बैठे। हालांकि थोड़ी देर बाद उनके ऑफिस में लाइट आ गई। टाक ने बताया कि प्रदेश में इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी के साथ ही कोरोना काल के बाद आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी के कारण बिजली की मांग में उछाल देखने को मिल रहा है। कोयला संकट के कारण पूरी क्षमता के साथ बिजली का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में हमें मजबूरी में बिजली की कटौती करना पड़ रहा है।

बिजली की मांग बढऩे लगी

टाक ने बताया कि प्रदेश में गत वर्ष अप्रैल माह में बिजली की मांग प्रतिदिन लगभग 2131 लाख यूनिट थी और अधिकतम मांग 11570 मेगावाट थी। वह चालू वर्ष में बढक़र लगभग 2800 लाख यूनिट प्रतिदिन व अधिकतम 13700 मेगावाट पहुंच गई है। हमें ऊंचे दाम पर भी बिजली नहीं मिल पा रही है। देश के अधिकांश राज्यों में इन दिनों बिजली संकट गहराया हुआ है। अन्य प्रदेशों में रोजाना सात से आठ घंटे बिजली कटौती की जा रही है। उसकी तुलना में प्रदेश में बहुत कम बिजली कटौती की जा रही है।

कोयला संकट से बने हालात विकट

प्रदेश के थर्मल पावर स्टेशनों की विद्युत उत्पादन क्षमता 10,110 मेगावाट है। लेकिन कोयला संकट के कारण लगभग 6600 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि संकट के इस दौर में वे बिजली की बचत कर इस संकट से उबरने में सहयोग करें। बिजली की उपलब्धता बढऩे के साथ ही कटौती को बंद कर दिया जाएगा।

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