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बुज़ुर्गों के अकेलेपन की त्रासदी को उकेरता नाटक ‘ओह! नॉट अगेन’ का प्रभावी मंचन

बुज़ुर्गों के अकेलेपन की त्रासदी को उकेरता नाटक ‘ओह! नॉट अगेन’ का प्रभावी मंचन

जोधपुर,शहर के जयनारायण व्यास टाउन हॉल के बंद होने के बाद भी शहर के नाटक और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम रुके नहीं। यह शहर के लिये बहुत ही शुभसंकेत है। प्रमोद वैष्णव लिखित और निर्देशित नाटक ओह! नॉट अगेन का बहुत ही कम समय में रविवार की ये दूसरी प्रस्तुति बंगाली समाज के दुर्गापूजा के अवसर पर हुई। इस प्रस्तुति की जानकारी देते हुए जोधपुर दुर्गाबाड़ी समिति के उपाध्यक्ष चंदन बैनर्जी और ग्रासरुटस आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष प्रमोद सिंघल ने बताया कि कोई भी इंसान अकेलेपन से परेशान होकर क्या-क्या करता है, बल्कि ये कहना ठीक होगा कि वो अपना अकेलापन जताने के लिये क्या क्या कर लेता है। अकेलेपन की इसी उबाऊपन को रेखांकित कर दर्शकों के दिलों में जगह बनाने कामयाब रहा नाटक ओह! नॉट अगेन।

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नाटक का मुख्य क़िरदार मक्खनलाल इसी अकेलेपन का शिकार है। उसकी पत्नी पहले ही स्वर्ग सिधार चुकी है और बेटा बड़ा होते ही अपने सपने पूरे करने चला गया घर से और परिवार से दूर। ऐसे में मक्खनलाल को अकेलापन काटने को दौड़ता है। यहीं से शुरु होती है उसकी उल्टी सीधी हास्यास्पद हरकतें। दिखने में ये सब घटनाएं बेहद सामान्य हास्य पैदा करने वाली घटनाएं लगती हैं लेकिन इन हरकतों की तह में जायेंगे तो आपको उन बुज़ुर्गों का अकेलापन साफ़ दिखेगा, जो सब कुछ होते हुए भी अपने ही घर में नज़रबंद से पड़े हैं। उनसे बात करने वाला कोई नहीं है।उनको दिलासा देने वाला कोई नहीं है। नाटक के मूल में जो बात है, उसने दर्शकों के मन में हल्की सी भी चुभन पैदा करती हुई इस विषय को लेकर आने की सार्थकता बयान करती है।

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नाटक के मुख्य किरदार मक्खनलाल के रुप में एमएस ज़ई ने बुजुर्गाे की इस पीड़ा को बहुत ही बारीकी से उभारा,जिसकी वजह से नाटक अंतिम दृश्य में लोगों की आंखे बरबस गीली होती नज़र आई। इसके अलावा मक्खनलाल के दोस्त बने परभाती लाल (वाजिद हसन क़ाज़ी) का अपने दोस्त से जलन का भाव रखना लोगों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर देता है। नाटक को ऊंचाईयों पर ले जाने में राकेश (नकुल दवे),टंकी (विजय परिहार) लड़की (निहार खान) शैला (शैला माहेश्वरी) पूजा (निधि वर्मा) और महिला के रूप में योगिता टाक ने जमकर अभिनय किया। नाटक में संगीत गौरव वैष्णव का था। रंगदीपन मोहम्मद इमरान का और मंच व्यवस्था ख़लील खान,प्रमोद सिंघल और रामसिंह की रही।

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