अभावों के बीच सामाजिक प्रतिबद्धता को ज़िंदा रखना ही रंगमंच की नियति-बोराणा

राज्य स्तरीय रंग संवाद

जोधपुर, गुरुवार को आयोजित राज्य स्तरीय रंग संवाद में प्रदेश के कलाकारों को सम्बोधित करते हुए अकादमी के पूर्व अध्य्क्ष व नाट्यविद रमेश बोराणा ने कहा कि रंगमंच करना चुनौतियों भरा काम है। अनेक कठिनाइयों से झुझते हुए अभावों के बीच सामाजिक प्रतिबध्दता को ज़िंदा रखना ही रंगमंच की नियति है।

राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित पांच दिवसीय ओमशिवपुरी नाट्य समारोह के अवसर होने वाले ‘रंग संवाद’ की अध्यक्षता करते हुए बोराणा ने कहा कि कोविड त्रासदी से भारतीय नाट्य जगत को बड़ा नुकसान हुआ है, उससे उबरने की जद्दोजहद कलाकार जीवटता से कर रहा है, लेकिन सरकारों व समाज को भी आगे आकर कला संस्कृति को सम्बल प्रदान करना होगा। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे राज्य के कला व कलाकारों के प्रति सदैव संवेदनशील रहे हैं। कोरोना काल में उन्होंने आम आदमी के साथ कलाकारों की भी मदद करने का हर सम्भव प्रयास किया और दस हजार से अधिक कलाकारों को पांच हजार रुपये प्रति कलाकार प्रदान किये। देश के वरिष्ठ नाट्य निर्देशक व प्रशिक्षक रवि चतुर्वेदी ने अपने रंग अनुभव साझा करते हुये नाटक की विभिन्न शैलियों व मंच की बारीकियों पर प्रकाश डाला।

अभावों के बीच सामाजिक प्रतिबद्धता को ज़िंदा रखना ही रंगमंच की नियति-बोराणा

उन्होंने कहा कि कोई नाटक पूर्ण नहीं होता,क्योंकि देश काल,परिस्थितियां रंगमंच को प्रभावित करती रहती हैं। अपने द्वारा निर्देशित नाटक वो कौन था कि पृष्ठभूमि व प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए कहा कि व्यक्ति का खोखला व दिखावापन आज के समाज का यथार्थ है जिससे नैतिक मूल्यों का पतन हुआ है। बीकानेर से आए रंग निर्देशक अशोक जोशी ने संगोष्ठी के प्रतिभागियों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि साम्प्रदायिक सौहार्द के संकट ने समाज में दूरियां बढ़ाते हुए अविश्वास को गहरा किया है। उन्होंने नाटक ‘जिस लाहौर नइ वेख्या वो ज्मयाइ नइ’ की प्रासंगिकता प्रतिपादित करते हुए इसे युग श्रेष्ठ कृति बताया। नाटक ‘कितनी क़ैदें’ के निर्देशक रमेश भाटी ने नारी मन: स्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि पुरुष प्रधान समाज में नारी आज भी विविध रूपों में शोषित व कैद है।

रंग संवाद में रंगकर्मी रमेश बोहरा, नवीन पंछी, इमरान खान, हरीश देवनानी,भवानी सिंह,रवि माथुर, दीपक भटनागर,अरु-स्वाति व्यास, मदन बोराणा,शहनाज़ खान, बिनाका जेश, सईद खान, हितेंद्र गोयल,हरि वैष्णव,लक्ष्मीकांत छेनू,अलवर के देशराज मीना,जयपुर के डॉ घनश्याम बेनीवाल, अनुज अरोड़ा, शायर इशश्राकुल माहिर सहित अनेक कलाकारों ने सवाल जवाब किए। गोष्ठी का संचालन एमएस जई ने किया तथा धन्यवाद अकादमी सचिव अनिल जैन ने ज्ञापित किया।

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