भगवान श्रीकृष्ण ने भक्तो को दु:खी देखकर अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को धारण किया
जोधपुर, जालेली चम्पावत ढाका की ढाणी स्थित महादेव गौशाला प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा आयोजन में शुक्रवार को कथा वाचक संत सुनील महाराज ने श्रीकृष्ण द्वारा अंगुली पर गिरिराज धारण प्रसंग का वर्णन किया। इस दौरान ठाकुरजी को छप्पन भोग लगाया गया।
संत सुनील महाराज ने कहा की वृन्दावन में हर साल बारिश के देवता इंद्र की पूजा होती थी। इस कारण इंद्र को अहंकार हो गया था। इंद्र के अहंकार को तोड़ऩे के लिए भगवान कृष्ण ने सभी ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा को छोड़क़र गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा।
तब सभी वृंदावनवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे ये देखकर इंद्र ने क्रोधित होकर वृन्दावन गोकुल पर लगातार तूफ़ान के साथ भयंकर बारिश शुरू कर दी। भगवान कृष्ण ने अपने भक्तों को दु:खी देखकर अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को धारण किया और सभी ब्रजवासियों को गोवर्धन के नीचे आने के लिए कहा।
सभी ब्रजवासी अपनी-अपनी लकड़ी लेकर गोवर्धन पर्वत के नीचे खड़े हो गए। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों के अहंकार को तोडऩे के लिए पर्वत को हल्के से नीचे किया तो सभी ब्रजवासियों की लकडिय़ा टूट गई। इंद्र ने ब्रज पर लगातार सात दिनों तक लगातार बारिश की लेकिन भगवान् श्रीकृष्ण ने किसी का बाल तक बांका नहीं होने दिया।
इससे इंद्र का अहंकार टूट गया। इंद्र ने भगवान् श्रीकृष्ण से माफी मांगी और भगवान ने इंद्र को माफ़ कर दिया। तब से वृन्दावन में गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू हो गई। कथा में महाराज ने गोवर्धन को जाऊ मेरे मीत नाही माने मेरो मनवा सुन्दर भजन सुनाया। कथा के दौरान श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण के जयकारे लगाए।
कथा में समाजसेवी हीरालाल ढाका, पुनाराम,डुंगरराम, अमाराम, देवाराम, दौलाराम, गोपाराम, जेठाराम, सुरजाराम, मोटाराम, गंगाराम, पुखराज, कालूराम, रामदीन, भीयाराम, गणपत, खेताराम, अशोक, महेंद्र, उमेद, सुनील सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। कथा में शनिवार को ठाकुरजी का विवाह महोत्सव मनाया जाएगा।