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आभूषण में जड़े स्टोन भी सोने के भाव तौले,उपभोक्ता आयोग ने लगाया 1.5 लाख हर्जाना

जोधपुर,सामान्य तौर पर ज्वैलर्स द्वारा सोने-चांदी के जेवरात बेचते समय इनमें लगे हुए नग,चीड़,स्टोन व अन्य आर्टिफिशियल आइटम का वजन कम करके ही ग्राहकों को बेचा जाता है किंतु दिल्ली की ज्वैलरी फर्म द्वारा पैन्डल सैट में लगे स्टोन को भी ग्राहक को सोने के भाव तौलकर बेचने पर उपभोक्ता संरक्षण आयोग द्वितीय ने उक्त फर्म पर डेढ़ लाख रुपए हर्जाना लगाया है।

मामले के अनुसार चौपासनी हाउसिंग बोर्ड निवासी उर्वेश जैन ने दिल्ली की फर्म पीसी ज्वैलर्स के सरदारपुरा स्थित शौरूम से अक्टूबर 2016 में 21.24 ग्राम सोने का पेंडल सैट खरीदा, जिसके कुल वजन की कीमत उससे सोने के भाव वसूल की गई। यह पेंडल सेट टूटने पर उसे पता चला कि इसमें बारीक स्टोन लगाये हुए हैं, जिनका वजन कम नहीं कर सैट में शामिल कर सोने की दर से ही कीमत वसूल की गई है। इस पर उसने  ज्वैर्ल के विरुद्ध उपभोक्ता आयोग  में  परिवाद प्रस्तुत किया गया।

विपक्षी की ओर से ज़बाब प्रस्तुत कर बताया कि यह ज्वैलरी एक डिजाइनर आइटम है व देखने से ही स्टोन लगे होने जाहिर होते हैं। ग्राहक को भी इस बाबत बता दिया गया था। उनके बिल में अंकित शर्तों के अनुसार आइटम अदला-बदली करने पर स्टोन की कीमत भी सोने की दर से अदा की  जाती है। ग्राहक द्वारा इन शर्तों को स्वीकार करते हुए ही आइटम की खरीद की गयी है।

आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा,सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी ने अपने निर्णय में कहा कि किसी भी व्यापारी को ज्वैलरी में लगे पत्थरों को सोने के भाव ग्राहक को बेचने का अधिकार नहीं है। ग्राहक के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह भविष्य में विक्रेता से ही इस ज्वैलरी की अदला-बदली या रिटर्न करे। अन्य किसी व्यापारी द्वारा स्टोन की कीमत सोने के भाव नही दी जानी है। आय़ोग ने ग्राहक पर इस प्रकार की शर्तें थोपना अवैध व अनुचित व्यापार-व्यवहार किया जाना माना तथा स्टोन के निमित्त नाजायज वसूली की गई साढ़े पांच हजार रुपए की राशि वापस लौटाने के साथ शारीरिक व मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति हेतु पचास हजार रुपए हर्जाना परिवादी को भुगतान करने का आदेश दिया है।

आयोग ने विपक्षी ज्वैलरी फर्म द्वारा अपने शौरूमों के द्वारा ग्राहकों से इस प्रकार नाजायज राशि वसूल कर किये जा रहे अनुचित व्यापार-व्यवहार को भी गंभीरता से लिया तथा फर्म पर एक लाख रुपए राशि अतिरिक्त हर्जाना भी लगाया है। उक्त राशि दो माह की अवधि में उपभोक्ता कल्याण कोष राजस्थान में जमा कराने का विपक्षी को आदेश दिया है।

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