पावटा सर्कल से 17 जून शुरू होगी रेजांगला यात्रा
- रेजांगला यात्रा मेजर शैतान सिंह तथा वीर अहीरों की शहादत को सच्ची श्रद्धांजलि
- आयोजन समिति का गठन
- मेजर शैतान सिंह शताब्दी वर्ष जयंती 1 दिसंबर 2025 तक होंगे 100 जागरूकता कार्यक्रम
जोधपुर(डीडीन्यूज),पावटा सर्कल से 17 जून शुरू होगी रेजांगला यात्रा। देश के 7 राज्यों के 29 जिला मुख्यालय से होते हुए रेजांगला तक जाएगी रेजांगला पराक्रम यात्रा। संयोजक सावन सिंह रोहिल्ला ने बताया कि आजादी के बाद देश अपने संसाधन तथा सेना को मजबूत कर ही रहा था उसी वक्त चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण कर दिया। भारत सरकार इस युद्ध के लिए तैयार नहीं थी और न ही हमारे पास संसाधन थे। इन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी 18 हजार फुट की ऊंची दुर्गम बर्फीली चोटी पर स्थित रेजांगला पोस्ट पर मेजर शैतान सिंह भाटी की कमान में 13 कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के अहीर रणबांकों ने पराक्रम दिखाकर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
रेजांगला चोटी को चीन की गिरफ्त में जाने से बचाया उसकी याद ताजा कर आज भी चीनी सेना के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 124 सैनिकों ने चीन के 1300 सैनिकों को मार गिराया जिसे देखकर लगभग 2000 चीनी सैनिक मैदान छोड़कर भाग छूटे। इस युद्ध में 114 वीर अहीर मेजर शैतान सिंह के साथ शहीद हो गए। यह यात्रा मेजर शैतान सिंह के साथ ही उनकी चार्ली कंपनी के वीर अहीरों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
जोधपुर में यात्रा के सक्रिय कार्यकर्ता एडवोकेट एनडी निम्बावत ने बताया कि 17 जून को मेजर शैतान सिंह की समाधि पर पुष्प अर्पित करके पावटा सर्कल पर मेजर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाएगा तथा यात्रा को हरी झंडी दिखाई जाएगी। यात्रा पर जाने वाले 15 सदस्य दल जिसका नेतृत्व सावन सिंह रोहिल्ला कर रहे हैं उनका सम्मान करते हुए यात्रा शुरू की जाएगी तथा पावटा सर्कल से कलेक्ट्रेट,रेलवे स्टेशन, ओलंपिक रोड,जालौर गेट से वापस महात्मा गांधी रोड होते हुए पावटा सर्कल पर पहुंचेगी।वहां से सभी यात्रियों को एस्कॉर्ट करते हुए जोधपुर से लोग बावड़ी तक यात्रा के साथ चलेंगे। उसके बाद में यात्रा नागौर होते हुए झुंझुनू जाएगी। विष्णु चंद्र प्रजापत ने इस यात्रा का ब्लूप्रिंट तैयार किया है।
शंभू सिंह मेड़तिया ने विचार रखते हुए कहा कि मेजर की जयंती 1 दिसंबर 2025 तक स्कूल कॉलेजों तथा आम जनता के मध्य 100 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिसमें रेजांगला युद्ध की विकट परिस्थितियों और वीर शहीदों के पराक्रम की वीर गाथा से आमजन को बताकर जागरूकता तथा राष्ट्रभक्ति का संचार किया जाएगा।
जगदीश यादव ने बताया कि रेजांगला युद्ध विकट परिस्थितियों में नवंबर महीने में लड़ा गया था जिसमें भारत चीन के मध्य लड़े गए 1962 के युद्ध में केवल एकमात्र चौकी थी जिसे मेजर शैतान सिंह और उनके बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर बचाया था इस रेजांगला चोटी पर मेजर शैतान सिंह के साथ 13वीं कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी के 125 वीर अहीर सिपाही तैनात थे।
मेजर शैतान सिंह ने देखा कि चोटी के उस पार चीन की तरफ से हजारों की संख्या में चीनी सैनिक चोटी की ओर बढ़ रहे हैं तब मेजर शैतान सिंह ने अपने साथियों को कहा कि सरकार अतिरिक्त सैनिक भेजने की स्थिति में नहीं है सरकार ने हमें लौटने का कहा है तब उनके वीर सिपाहियों ने कहा कि हम प्राण दे देंगे लेकिन इस चोटी को नहीं छोड़ेंगे और उन्होंने बहादुरी से युद्ध लड़ा जिस पर लता मंगेशकर ने गीत गाया है। “10-10 को एक ने मारा” अर्थात 120 सैनिकों ने शहादत देते हुए चीन के 1300 सैनिकों को मार गिराया और रेजांगला को चीन के अधिकार क्षेत्र में जाने से बचा लिया।
सिरसा में जोधपुर के साहित्यकारों का सम्मान
उन्हीं वीर अहीरों को समर्पित यह रेजांगला यात्रा उनके जिला मुख्यालय से होते हुए रेजांगला, लद्दाख जाएगी जिसे अहीर धाम कहा जाता है। यात्रा का वार मेमोरियल दिल्ली में समापन होगा। शहीदों की खून से सनी रज को वॉर मेमोरियल में रखा जाएगा।
आज की मीटिंग नरपत सिंह भाटी की अध्यक्षता में तथा अशोक माथुर के सानिध्य में आयोजित की गई। जोधपुर से शुरू होने वाली रेजांगला पराक्रम यात्रा के सफल आयोजन तथा तैयारी के लिए एक आयोजन समिति का गठन किया गया जिसमें एडवोकेट एनडी निम्बावत,जगदीश यादव,शंभू सिंह मेड़तिया,विष्णु चंद्र प्रजापत,सूबेदार शेर सिंह,इंसाफ अली,द्वारकेश व्यास,नरेंद्र सिंह राठौड़,विजय शर्मा तथा एमएस जोधा रहेंगे।