• किसानों के हित में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने उठाया बड़ा कदम
  • सोमवार से छोड़ा जाएगा 2700 क्यूसेक पानी
  • 8000 से बढ़कर अब 10700 क्यूसेक पानी
  • पंजाब से आ रहे दूषित जल की समस्या से भी मिलेगी निजात

नई दिल्ली, राजस्थान के किसानों के हित में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक और बड़ा कदम उठाया है। राज्य के लिए सोमवार 21 जून से अतिरिक्त 2700 क्यूसेक पानी भाखड़ा नांगल परियोजना से छोड़ा जाएगा। जिससे श्रीगंगानगर से लेकर जैसलमेर तक के किसानो को बुवाई के सीजन में इसका लाभ मिलेगा।

पंजाब से आ रहे दूषित जल की समस्या से भी किसानों को निजात मिलेगी। पंजाब से इंदिरा गांधी नहर परियोजना में आ रहे दूषित जहरीले पानी से राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर नागौर, चूरू, झुंझुनू और सीकर के किसान तथा आमजन प्रभावित हो रहे हैं।

हरिके बैराज से काला दूषित जहरीला पानी छोड़े जाने से राजस्थान की इंदिरा गांधी नहर, गंगनहर और भाखड़ा-नांगल सिंचाई तंत्र में जहर फैलता जा रहा है। इस गंभीर मुद्दे को लेकर 17 जून को केंद्रीय मंत्री शेखावत ने राजस्थान के भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, सांसद निहालचंद, विधायक सुमित गोदारा, बिहारी लाल विश्नोई, संतोष बावरी समेत अन्य जनप्रतिनिधियों से गहन विचार-विमर्श किया था। बैठक में ही शेखावत ने मंत्रालय के अफसरों को समस्त जानकारियां एकत्र कर आगे की कार्यवाही के दिशा-निर्देश दे दिए थे।

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श्रीगंगानगर से लेकर जैसलमेर तक के किसान होंगे लाभान्वित

शेखावत ने कहा था कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) अपशिष्ट जल का प्रबंधन करने की योजना बनाएगा। अब एक दिन बाद ही राजस्थान को भाखड़ा नांगल परियोजना से अतिरिक्त 2700 क्यूसेक पानी छोड़ने के आदेश दिए गए हैं।

अभी इस परियोजना से राजस्थान को 8000 क्यूसेक पानी मिल रहा है, लेकिन 21 जून से 10,700 क्यूसेक पानी मिलेगा। इससे श्रीगंगानगर से लेकर जैसलमेर तक के किसान लाभान्वित होंगे। खेती के लिए पानी की समस्या से उनको निजात मिलने के साथ ही ये उनकी उत्पादन क्षमता में भी बढ़ाएगा।

दरअसल, पंजाब से दूषित जल नहरों के माध्यम से राजस्थान पहुंच रहा है, जो जन-धन दोनों के लिए हानिप्रद है। भाजपा नेताओं के साथ विचार-विमर्श में केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा था कि हमारा उद्देश्य इस समस्या का स्थायी और जनहितकारी निदान है। गौरतलब है कि इंदिरा गांधी नहर से करीब 2 करोड़ की आबादी जुड़ी हुई है और क्षेत्र की जनता को सालों से इस समस्या से जूझना पड़ रहा है।

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