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राजस्थान हाईकोर्ट:याची को नियुक्ति देवें अन्यथा संयुक्त निदेशक व्यक्तिगत हाजिऱ हो

अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को

जोधपुर,राजस्थान हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होने के आधार पर सहायक आचार्य (गणित) पद पर विशेष योग्यजन वर्ग में नियुक्ति नहीं दिए जाने पर गंभीरता से लिया है। इसमें अब अगली सुनवाई 15 दिसम्बर को होगी। इटावा उत्तर प्रदेश के निवासी याची की मनीष चौहान की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने पैरवी की। याची मनीष चौहान की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर ने कॉलेज शिक्षा विभाग के सहायक आचार्य के पदों के लिए विज्ञप्ति जारी कर योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित किए। गणित विषय में कुल 34 पद विज्ञापित किए जिसमे एक पद हियरिंग इंपेयर्ड वर्ग एच 1 के विशेष योग्यजन के लिए आरक्षित किया।

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याची एमएससी (गणित),पीएचडी, जेआरएफ,स्लेट परीक्षा पास की योग्यता रखते हुए अपना आवेदन वर्ग में किया। आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में कुल 48.47 अंक हासिल किए और पास घोषित किया गया। तत्पश्चात आयोग ने याची को साक्षात्कार में बुलाया। याची के सभी दस्तावेज़ सत्यापन पश्चात् उसे अंतिम रुप से चयनित करते हुए आयोग ने कॉलेज शिक्षा विभाग को उसका नाम नियुक्ति के लिए भेजा गया।

तत्पश्चात आयुक्तालय,कॉलेज शिक्षा विभाग, जयपुर द्वारा काउंसलिंग में बुलाया गया। याची ने समस्त मूल दस्तावेज़ जमा करवा दिए लेकिन अन्य सभी अभ्यार्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए लेकिन याची को बिना किसी कारण के नियुक्ति से यह कहते हुए मना कर दिया कि वह उत्तर प्रदेश का मूल निवासी है और विशेष योग्यजन वर्ग में नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। जिस पर याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

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याची की ओर से बताया गया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 और राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2018 के प्रावधानों के अनुसार विशेष योग्यजन वर्ग में किसी अन्य राज्य का मूल निवासी होने के आधार पर नियुक्ति से वंचित नही किया जा सकता है। जबकि विज्ञप्ति में स्पष्ट लिखा गया था कि संपूर्ण भारत के किसी भी राज्य के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी विकलांगता प्रमाण पत्र मान्य होगा। नियमानुसार दिव्यांगजन व्यक्ति को मूल निवासी होने के आधार पर नियुक्ति से वंचित करना संविधान के प्रावधानों के विपरीत है।

न्यायालय ने माना कि विज्ञप्ति की शर्तो के अनुसार जब आरपीएससी ने याची को योग्य मानते हुए नियुक्ति की अनुशंसा कर दी तो विभाग का कृत्य स्वीकार योग्य नहीं हैं। विभाग को बार बार मौके-समय दिए जाने के बावजूद नियुक्ति आदेश जारी नही करने पर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश अरूण भंसाली ने इसे गंभीरता से लेते हुए कॉलेज शिक्षा विभाग के सयुंक्त निदेशक को याची के नियुक्ति आदेश जारी करने अन्यथा अगली सुनवाई तिथि पर कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थित रहकर स्पष्टीकरण देने का आदेश जारी किया। अगली सुनवाई तिथि 15 दिसंबर 2022 नियत की है।

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