आर्थिक कुप्रबंधन से श्रीलंका, पाकिस्तान के रास्ते पर जा रहा राजस्थान-शेखावत

  • केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने राज्य के बजट को बताया चुनावी लॉलीपॉप
  • बोले, राजस्थान की दुर्दशा को देखकर आंखों में आंसू आ जाते हैं
  • आर्थिक आपातकाल की ओर जा रहा राज्य
  • वेतन भुगतान में आएगी दिक्कत

जोधपुर,केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आंकड़ों को गिनाते हुए राजस्थान सरकार के बजट की तीखी आलोचना की और कहा कि यह बजट चुनावी लॉलीपॉप के अतिरिक्त कुछ और नहीं है। आज राजस्थान आर्थिक आपातकाल की ओर जा रहा है। कोई आश्चर्य नहीं है कि आने वाले समय में राजस्थान में कर्मचारियों को कई-कई दिन तक वेतन भुगतान भी न हो सके। शेखावत ने कहा कि जो राजस्थान की आर्थिक समीक्षा करने वाले लोग हैं,उन्होंने इस बात पर टिप्पणी की है और आरबीआई ने जो नोट राजस्थान को लेकर लिखा है,उसके आधार और जो बजट आया है,कह सकते हैं कि राजस्थान आर्थिक कुप्रबंधन के चलते श्रीलंका और पाकिस्तान के रास्ते पर जा रहा है।

शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पेश राजस्थान के बजट पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि पिछले वर्ष का बजट पढ़ दिया गया। राजस्थान की दुर्दशा को देखकर आंखों में आंसू आ जाते हैं। राजस्थान का मुखिया, जिसको राजस्थान के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी थी,उसे इतना भी भान नहीं था कि मैं इस साल के भविष्य की रूपरेखा रख रहा हूं या गत वर्ष के भविष्य की रूपरेखा रख रहा हूं, लेकिन जिस तरह से बजट रखा गया और बजट के बाद जिस तरह से बयान दिया गया,यह बजट चुनावी लॉलीपॉप के अतिरिक्त कुछ और नहीं है।

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शेखावत ने कहा कि आर्थिक कुप्रबंधन के चलते राजस्थान को पिछले चार बजट के माध्यम से साढ़े चार साल आर्थिक गर्त में धकेला गया है। वर्ष 2020-21 में राजस्व घाटा, बजट आकलन में 12,378 करोड़ रुपए अनुमानित किया गया था, वो बढ़कर 41,721 करोड़ हो गया था, यानी 29 हजार करोड़ रुपए का घाटा उस एक साल में बढ़ा था। वर्ष 2021-22 में 23,750 करोड़ रुपए का घाटा हम रखेंगे, ऐसा कहा गया। हालांकि,इस बजट में कहीं इस बात का उल्लेख नहीं किया कि हम घाटा कम करेंगे, कैसे कम करेंगे,जो पिछले साल में 29 हजार करोड़ था,उसे कैसे 23 हजार करोड़ करेंगे। केवल आर्टिफिशियल रिसिप्ट्स को क्रिएट किया गया था कि हमारी इतनी प्राप्तियां होने वाली हैं। 23,750 करोड़ का घाटा,ऐसा अनुमान किया गया। अंततः घाटा 11,939 करोड़ रुपए बढ़कर 35,680 करोड़ हुआ।

शेखावत ने कहा कि वर्ष 2022-23 में 23,488 करोड़ रुपए,फिर परंपरा का निर्वहन करते हुए कि इस बार हम अच्छा करेंगे,अच्छा राजस्व एकत्रित करेंगे,आपकी बार घाटों को 35 हजार करोड़ से घटाकर 23 हजार करोड़ पर लेकर आएंगे। पिछली बार 32,310 करोड़ रुपए का घाटा हुआ,यानी 8000 करोड़ रुपए का राजस्थान को घाटा लगा। वर्ष 2023-24 के बजट में एक बार फिर वही परिपाटी अपनाते हुए इतनी सारी चुनावी रेवड़ियां बांटकर उन्होंने कहा कि आपकी बार अपने राजस्व को इस तरह बनाएंगे कि हमारा घाटा पिछली बार से कम होकर 24,895 करोड़ हो जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजस्थान की कर राजस्व बजट स्टडी की किताब में लिखा है कि साल 2020-21 में कुल राजस्व कलेक्शन 77,029 करोड़ था, जिस तरह से घाटे दर घाटे के कारण राजस्थान को कर्ज के बोझ में धकेला गया है,राजस्थान के प्रति व्यक्ति पर कर्ज,जो साल 2018 के अंत में 23 हजार रुपए का था, आज वह बढ़कर के 54 हजार रुपए हो गया है। आगे आने वाले एक साल में यह बढ़कर 70 हजार रुपए को पार करने वाला है। राजस्थान का कुल ऋण 5.31 लाख करोड़ रुपए होने वाला है।

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केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि राजस्थान का कुल राजस्व 77 हजार करोड़ था,ब्याज जो राजस्थान को चुकाना पड़ता है, इस साल जितना कर्जा लेंगे,घाटे की पूर्ति के लिए,वह जोड़ लूंगा तो 45 हजार करोड़ ब्याज हो जाएगा। 77 हजार करोड़ रुपए से ब्याज की अदायगी,सरकार के कर्मचारियों के वेतन की अदायगी, पेंशन की अदायगी,ओपीएस के बारे में बात नहीं कर रहा हूं,उसके अलावा मेडिकल बिल्स की अदायगी,इन चार चीजों पर जो सरकार खर्च करती है, 77 हजार करोड़ के राजस्व के विपरीत में राजस्थान की सरकार पर इन चार चीजों का बोझ जो है, वह 1.11 लाख करोड़ रुपए है, यानी राजस्थान सरकार पर खुद की आमदनी से एक रुपया भी डेवलपमेंट पर खर्च करने के लिए नहीं था।

शेखावत ने कहा कि वर्ष 21-22 में 90 हजार करोड़ की आमदनी पर 1.22 लाख करोड़ यानी 135 प्रतिशत खर्च का बोझ इन चार चीजों पर था। वर्ष 2022-23 में 98 हजार करोड़ के रेवेन्यू पर 1,23,607 करोड़ रुपए का बोझ था। साल 2023-24 में इस साल अनुमान जो है, 1.14 लाख करोड़ की कुल आय,जो इन्होंने इन्फ्लेट करके बताई है,पहले तीन साल तो एक्चुअल फिगर है। अभी इन्होंने आर्टिफिशियल इन्फ्लेशन करके जो फिगर बताई है,उसके बावजूद 1.29 लाख करोड़ रुपए यानी 113% एक्सपेंडिचर हो रहा है।

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सौ रुपए कमाई, सवा सौ रुपए खर्च

शेखावत ने कहा कि जिस सरकार की 100 रुपए कमाई है और सवा सौ रुपए खर्च करती है,उसकी क्या हालत होगी,इस पर में टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। आपको और मुझे वेतन मिलता है। हम अगर अपने घर का बजट बनाते हुए जितना वेतन हमको मिलता है, उसको डेढ़ गुना दिखाकर घर में बजट बनाएंगे तो घर का क्या हाल होगा,यह हम सब अपने आप कल्पना कर सकते हैं। जिस तरह की परिस्थितियां राजस्थान में बनी हैं, उसके चलते जिस तरह से सरकार ने केवल और केवल चुनाव जीतने का लक्ष्य को लेकर के घोषणाएं की हैं, मैं उन सारी घोषणाओं में नहीं जाना चाहता हूं। हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम सही विषय समाज के सामने रखें। जितनी बड़ी घोषणाएं राजस्थान में राज्य की सरकार ने की हैं, उन घोषणाओं में से कितनी घोषणाएं 50 हजार करोड़ की लागत से ज्यादा की घोषणा थीं, वह धरातल पर उतरी हैं या नहीं, इसकी निश्चित रूप समीक्षा करनी चाहिए।

जोधपुर लिफ्ट कैनाल से सीएम को घेरा

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि आपको एक उदाहरण देता हूं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साहब के लिए जोधपुर सर्वाधिक महत्व का विषय होगा। होना भी चाहिए। स्वाभाविक रूप से उनका विधानसभा क्षेत्र है। जिस क्षेत्र ने उन्‍हें 50 साल तक राजनीतिक पहचान दी है। जोधपुर लिफ्ट कैनाल परियोजना साल 2018 में जब वो सत्‍ता में आए थे, तब उन्‍होंने पूरे बजट भाषण में, जन घोषणा-पत्र में सब जगह, भाजपा सरकार को कोसते हुए, जोधपुर के साथ में दुर्भावनापूर्वक, थर्ड फेज के नाम को तत्‍कालीन सरकार ने मंजूरी नहीं दी,उन्‍होंने अपने भाषण में कहा,उनके जन घोषणा-पत्र में लिखा गया।

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साल 2019 के पहले बजट की घोषणा थी कि हम जोधपुर लिफ्ट के नाम से थर्ड फेज बनाएंगे, आखिरी बजट आ गया, लेकिन आज तक भी चालू नहीं हो पाया। अगर जोधपुर के लिए इतनी इंर्पोटेंट है कि तब तो कहा कि यह दुर्भावना से है, अगर उसको पांच साल तक घरातल पर नहीं उतारा गया तो और प्रोजेक्‍ट पूरा होगा, इसकी कल्‍पना कैसे कर सकते हैं।

आंकड़ों के छलावे में नहीं आएगी जनता

उन्होंने ने कहा कि ईस्‍टर्न राजस्‍थान कैनाल प्रोजेक्‍ट को लेकर भी बहुत बड़ा दावा किया था। 13 हजार करोड़ का बजट अलोकेशन है। पिछले बजट में 9 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की गई। मुख्‍यमंत्री ने खुद अपने भाषण में जब वह इस साल वाला भाषण पढ़ रहे थे, तब उन्‍होंने कहा था कि इस पर 1258 करोड़ रुपए खर्च हुए। अगर मैंने सही समझा तो 1258 था या 1268 था, लेकिन 1 हजार करोड़ रुपए 2018 तक निवेश हो चुका था। मात्र 258 करोड़ रुपए 9 हजार करोड़ में से खर्च हुए और उसी गति से काम करके, किस तरह से राजस्‍थान की जनता को आंकड़ों के जाल में घुमाकर मूर्ख बनाने की कोशिश की जा रही है। मुझे लगता है कि जोधपुर की जनता,जो चार्टर्ड अकाउंटेंट की धरती है,इन आकड़ों के छलावे में आने वाली नहीं है।

केवल लोगों को भ्रमित करने का प्रयास

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ये बजट केवल और केवल लोगों को भम्रित करने, लोगों को चुनावी लॉलीपॉप देने,चुनाव को जीतने के लिए बजट का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास मात्र है। उन्होंने कहा कि बजट के बाद 8 लाख से अधिक कर्मचारियों वाले संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है‍। मुख्यमंत्री ने बेरोजगार युवकों के जले पर नमक छिड़कने का काम किया है, जितनी परीक्षाएं हुईं हैं,18 परीक्षाओं में से 16 परीक्षाओं के पेपर लीक होने की बात है। अब सरकार को ब्रह्मज्ञान प्राप्‍त हुआ कि हम तकनीकी युग,एक एसओजी में टीम बनाएंगे,तकनीकी का खुलासा करना चाहिए।

युवाओं के अंधकारमय भविष्‍य को लेकर एक भी नई नौकरी देंगे, इस बात की घोषणा इस बजट में नहीं की। केवल और केवल परीक्षाओं को निःशुल्‍क कराएंगे। उन्होंने कहा कि बच्‍चे कई-कई महीने तक शहर में रहकर कोचिंग करते हैं, लेकिन आपकी नाकाबिलियत की वजह से,आपके लोगों की मिलीभगत के चलते पेपर लीक होते हैं और उस लीक के चलते, उन बच्‍चों का एक साल खराब होता है और उनके परिजनों का पैसा खराब होता है, समय जाया होता है,उसकी भरपाई कौन से निःशुल्‍क परीक्षा से होगी,उसका जो एक साल खराब होता है,क्‍या आप उसे लौटा पाएंगे। अगर मैं प्रश्‍न खड़ा करूंगा तो हर पन्‍ने पर प्रश्‍न खड़ा कर सकता हूं, लेकिन क्‍योंकि यह डॉक्‍यूमेंट ऐसा है, मुझे लगता है कि जो चर्चा के लायक भी नहीं है।

मोदी सरकार दे रही विकास का बजट

शेखावत ने नरेंद्र मोदी सरकार के बजट की चर्चा करते हुए कहा कि साल 2014 से एक स्पष्ट लक्ष्य मोदी के नेतृत्व में देश की सरकार ने रखा था। उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक स्पष्ट मार्ग और उस मार्ग को प्राप्त करने के लिए साल 2014 से लेकर साल 2023 तक बजट में एक निरंतरता देखने को मिली। विकास के मार्ग में जो गड्ढे थे,उनको दूर करके देश आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर गया है। इस साल का बजट विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा देने वाला बजट है। यह बजट इज ऑफ लिविंग का है। सामान्य मानवी के जीवन को सुगम बनाने वाला है, ऐसा आर्थिक विशेषज्ञों ने माना है।

देश भर में हुआ केंद्रीय बजट का स्वागत

उनहोनर कहा कि मैं प्रसन्नता के साथ में कह सकता हूं विपक्षी पार्टी के लोगों ने कुछ विषयों को लेकर शायद आलोचना की होगी। उन्होंने शायद अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के चलते बजट की स्पीच में शायद किसी और विषय को लेकर कुछ फब्तियां कसने का प्रयास किया होगा,लेकिन किसी ने यह बजट खराब है,इस बजट में कमी है,इसका कहीं कोई उल्लेख पूरे देश भर में नहीं किया। सभी ने बजट का स्वागत किया है।

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