जोधपुर, शहर के भीतरी क्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने वेब श्रृंखला तांडव के खिलाफ सदर बाजार पुलिस थाना में शिकायत दी है। इसमें निर्माताओं और अभिनेताओं द्वारा धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने एवं हिन्दू देवी-देवताओं को अपमानित करने के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की गई है। भूतड़ो की गली कबूतरों का चौक में रहने वाले हर्षवर्धन राठी ने रिपोर्ट में बताया कि वह पुणे यूनिवर्सिटी से 5 वर्षीय लॉ की पढ़ाई कर रहा है। उसने बताया कि इस वेब श्रृंखला के पहले भाग से हिन्दू धर्म को अपमान करने का दृश्य शुरू होता है जिसमें मुहम्मद ज़ीशान अय्यूब एक नाटक में भगवन शिव का किरदार निभाता है। जिस तरह का पहनावा उसमें शिवजी के रूप का होता है वह स्वयं में भगवान शिव का अपमान है। उस दृश्य में मुहम्मद ज़ीशान अय्यूब कई अपशब्द का प्रयोग करते है। यह दृश्य हिन्दू धर्म को अपमानित करने एवं हिन्दू धर्म के अंतर्गत अलग-अलग जातियों में दुश्मनी पैदा करने के लिए बनाया गया है।
मोहम्मद जीशान अय्यूब उर्फ शिवा एक कॉलेज प्ले में भगवान शिव की भूमिका निभाता है। वह हिंदू भगवान के पारंपरिक चित्रण से मेल नहीं खाता है, लेकिन स्टाइलिश दिखता है। एक सूट पहने हुए, एक हाथ में त्रिशूल ले जाता है और उसके चेहरे और गर्दन पर नीले रंग का धब्बा लगाता है। तांडव के निर्माताओं ने धार्मिक समुदाय के बीच घृणा और दुश्मनी की भावनाओं को बढ़ावा दिया है जो सार्वजनिक शांतिभंग कर सकता है। यह भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153 के तहत दंडनीय अपराध है। उन्होंने हिन्दू धर्म का अपमान करने के इरादे से भगवान शिव का गलत दृश्य प्रतिनिधित्व करके देवताओं का नेतृत्व किया जो भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 295 के तहत दंडनीय अपराध है। उन्होंने इस दृश्य को सार्वजनिक करने के इरादे से दिखाया है, जिससे किसी भी व्यक्ति को राज्य के खिलाफ या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रेरित किया जा सके जो भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 505 (1) (बी) के तहत दंडनीय अपराध है। इस तरह के दृश्य प्रतिनिधित्व विभिन्न समुदायों के बीच धर्म के आधार पर दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देते हैं। जो भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 505 (2) के तहत दंडनीय अपराध है। हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी करने के इरादे से उन्होंने ऐसा दृश्य प्रतिनिधित्व दिखाया है जो भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 469 के तहत दंडनीय अपराध है। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 66, 66एफ और 67 के तहत अपराध किया है।