On International Dance Day, pledge to preserve Rajasthani folk dances and artists

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर राजस्थानी लोक नृत्यों व कलाकारों के संरक्षण का संकल्प

– भाव कला नृत्य अकादमी ने की सरकारी स्कूलों में राजस्थानी लोक नृत्यों के प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की मांग
– केंद्रीय संस्कृति मंत्री शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल और शिक्षा मंत्री दिलावर को लिखा पत्र

जोधपुर(डीडीन्यूज),अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर राजस्थानी लोक नृत्यों व कलाकारों के संरक्षण का संकल्प।पाश्चात्य संस्कृति के हावी होने और राजस्थानी लोक नृत्यों के प्रति नई पीढ़ी के कम होते रुझान को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर भाव कला नृत्य अकादमी ने केंद्र और राज्य सरकार से राजस्थानी लोक नृत्यों और लोक कलाकारों के व्यापक संरक्षण की मांग करते हुए सभी सरकारी स्कूलों में राजस्थानी लोक नृत्य के प्रशिक्षण को नियमित करने की मांग की है।

भाव कला नृत्य अकादमी की संस्थापक अध्यक्ष सीमा राठौड़ के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर राजस्थानी लोक नृत्यों और लोक कलाकारों के संरक्षण का संकल्प भी लिया है।

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भाव कला नृत्य अकादमी की संस्थापक अध्यक्ष सीमा राठौड़ ने बताया कि राजस्थानी लोक नृत्य राजस्थान की अनूठी पहचान है,इन्हीं राजस्थानी लोक नृत्यों को राजस्थान के लोक कलाकारों द्वारा जिस रूप में देश और दुनिया में राजस्थान की अनूठी संस्कृति के चलते लोकप्रिय बनाया है,उससे कला और संस्कृति के क्षेत्र में राजस्थान की भी अपनी एक अनूठी पहचान तो कायम हुई ही है,हजारों कलाकारों को इस राजस्थान लोक नृत्य परपंरा के कारण रोजगार भी मिल रहा है।

राजस्थान की सभी सरकारी स्कूलों में संगीत विषय के अध्यापक नियुक्त हैं, लगभग सभी सरकारी स्कूलों में समय-समय पर लोक नृत्य की प्रस्तुति के कार्यक्रम भी होते हैं,ऐसे में यदि लोक नृत्य प्रशिक्षण को सरकारी स्कूलों में अनिवार्य कर दिया जाता है तो राजस्थानी लोक नृत्य के प्रति नई पीढ़ी का रुझान बढ़ेगा,कुछ प्रतिभाएं इस क्षेत्र में अपना करियर भी अपने हुनर के आधार पर निर्धारित कर पाएंगी।

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राजस्थान सरकार को या शिक्षा विभाग को सिर्फ बेहतर तरीके से मॉनिट्रिंग ही करना है,इसमें किसी प्रकार का कोई अनावश्यक खर्च भी नहीं आएगा और हमारे राजस्थान की अपनी संस्कृति से जुड़े लोक नृत्य के प्रति नई पीढ़ी को जोड़ा जा सकेगा। इस संबंध में भाव कला नृत्य अकादमी की ओर से केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिख कर राजस्थान के समस्त सरकारी विद्यालयों में राजस्थानी लोक नृत्य के प्रशिक्षण की नियमितता का आग्रह किया गया है। हमारे संस्थान का उद्देश्य सिर्फ यही है कि किसी भी तरह से राजस्थान की लोक कला,संस्कृति, परंपरा और उससे जुड़े कलाकारों का संरक्षण हो सके।

पत्र में यह भी बताया गया है कि देश की आजादी से पहले ही राजस्थान संस्कृति और विरासत में समृद्ध रहा है। राजस्थान की संस्कृति और परंपराएं लोक संगीत और नृत्यों के माध्यम से परिलक्षित होती आई है।इतिहास के पन्नों के अनुसार, राजस्थान में कई संस्कृतियों के शासकों ने शासन किया था। यहां प्रत्येक क्षेत्र का अपना रूप और लोक मनोरंजन की शैली है,जिसमें विभिन्न नृत्य और गीत होते हैं।

घूमर सबसे प्रसिद्ध नृत्य है,जिसने देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई। फिल्मी और टेलीविजन पर्दे पर भी सर्वाधिक लोकप्रियता घूमर नृत्य ने ही कायम की है,ऐसे कई अद्भुत नृत्य हैं,जिन्होंने पूरे देश में और दर्शकों के दिलों में जगह बनाई है।

राजस्थान में कई प्रकार के लोक नृत्य हैं,जिनमें से सबसे प्रसिद्ध नृत्य घूमर,कालबेलिया,तेराताली,भवाई और गीदड़ नृत्य हैं। ये नृत्य विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों द्वारा किए जाते हैं और इनकी अपनी विशिष्ट शैलियाँ और संगीत हैं। इनके अलावा, राजस्थान में कई अन्य लोक नृत्य भी हैं,कच्छी घोड़ी नृत्य,चांग नृत्य, चरी नृत्य,कठपुतली नृत्य,चारी नृत्य और गेर नृत्य भी इसमें शामिल हैं।

अकादमी अध्यक्ष सीमा राठौड़ ने अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टिट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरुकता फैले।


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