जीवन न चढ़ जाए रील की भेंट

  • -यूनिक कन्टेन्ट बनाने का बढ़ रहा है क्रेज
  • शॉर्ट फॉर्म ऐप 2030 तक अरब तक की उम्मीद

रिपोर्ट-शिवानी माथुर

जोधपुर,जीवन न चढ़ जाए रील की भेंट। रील्स का जुनून युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा है। हर कोई रातोंरात सोसल मीडिया में छा जाने को उतारू हैं। उत्साह इतना कि अपनी बनाई रील्स सबसे अलग और हटकर हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा लाइक्स मिले,व्यूज आए। जिसके लिए वे किसी भी हद तक जाने से नहीं हिचकिचाते। माना कि रील्स बनाना कोई गलत शौक़ नही लेकिन कई बार 30 सेकेंड से 1 मिनट तक बनने वाली यह क्लिप जिंदगी पर भारी पड़ जाती है। इसमें किसी की जान गई, तो किसी को चुकाना पड़ा चालान। हाल ही में हैदराबाद में एक 16 साल के लड़के की चलती ट्रेन के पास रील बनाते मौत हो गई। उत्तर प्रदेश की रहने वाली एक लड़की को रील के चक्कर में पुलिस को 16,500 रुपए का चालान भरना पड़ा। इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ निवासी युवक रील के चक्कर में बिल्डिंग से नीचे गिर गया और उसकी जान चली गई। यह तो चंद जानकारी है, पूरे देश मे ऐसे न जाने कितने मामले हर रोज होते हैं।

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रील्स बनाना अपराध नहीं
रील्स के जरिए खुद को अपडेट रखना और अपने शौक को बरकरार रखना कोई अपराध नहीं और न ही कोई सामाजिक बुराई लेकिन जरूरी है कि सावधानी बरतने की। रील बनाएं मनोरंजन के लिये न कि दिखावे के लिए।

सेल्फी का क्रेज हुआ कम
रील्स के बढ़ते उत्साह के बाद अब युवाओं में सेल्फी का क्रेज पहले के मुकाबले कम हुआ है। आज की युवा पीढ़ी यूनिक कंटेंट बनाने के लिए सार्वजनिक जगह,मॉल,सड़क पर दिखाई देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार शॉर्ट फॉर्म वीडियो,इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट के आने से सेल्फी का क्रेज काम हुआ है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शॉट्स फॉर्म ऐप के 2025 तक अपने मंथली एक्टिव यूजर्स आधार को 600 मिलियन तक दुगाना करने और 2030 तक 19 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।

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