एम्स जोधपुर में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से लीवर कैंसर का इलाज

एम्स जोधपुर में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से लीवर कैंसर का इलाज

जोधपुर, एम्स जोधपुर में अब लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से लीवर कैंसर का इलाज शुरू हो गया। लेप्रोस्कोपिक लीवर सर्जरी दूरबीन द्वारा किया जाने वाला बहुत आधुनिक ऑपरेशन है। प्रदेश में ही नहीं यह सुविधा देश में भी केवल चुनिंदा अग्रणी संस्थानों में ही उपलब्ध है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जोधपुर में इस तकनीक द्वारा किया जाने वाला यह पहला ऑपरेशन है।

अब एम्स जोधपुर के डॉक्टरो ने यह ऑपरेशन करके इस संस्थान को देश के अग्रनी संस्थान की सूची में ला कर खड़ा कर दिया है। एम्स के सर्जिकल गैस्ट्रो एंटरोलॉजी विभाग के सहआचार्य डॉ सुभाष सोनी ने बताया कि एडवांस लैप्रोस्कोपी द्वारा किया गया ये ऑपरेशन काफ़ी जटिल था। लीवर की सर्जरी के लिए विशेषज्ञता की जरुरत होती है और लेप्रोस्कोपी द्वारा लीवर सर्जरी को करने के लिए अधिक कौशल की आवश्यकता होती है।

एम्स जोधपुर में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से लीवर कैंसर का इलाज

लेप्रोस्कोपिक लीवर सर्जरी

आम तौर पर लीवर सर्जरी के लिए काफ़ी बड़े चीरे की जरूरत होती है और ख़ास तौर पर युवा मरीज़ में इसकी स्विकार्यता काफ़ी कम होती है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में चार से पांच सेमी के आकार के छेद से ही ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन के बाद का दर्द कम होता है और मरीज का जल्दी ठीक होना संभव होता है। छोटा चीरे के कारण संक्रमण का खतरा भी कम रहता है। एम्स में इस तरह का ऑपरेशन शुरू होने से अब मरीज को कहीं और जाने की जरूरत नहीं है।

25 साल की युवती के पेट के अंदर कुछ महीने से बहुत दर्द था। उसने सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग एम्स में दिखाया। जांच किया तो पता चला की इसके लीवर के बाएं हिस्से में लगभग 7×6 सेमी कैंसर की गांठ है। ऑपरेशन में रक्तस्राव और अन्य जटिलता का खतरा था। ऑपरेशन में करीब चार घंटे लगे और लीवर का बायां हिस्सा ट्यूमर के साथ हटा दिया गया। सर्जरी के दौरान ज्यादा ब्लीेडिंग नहीं हुई और न ही कोई रक्त दिया गया। ऑपरेशन सफल रहा और ऑपरेशन के बाद मरीज को चौथे दिन छुट्टी दे दी गई।

इन्होंने किया ऑपरेशन

एम्स के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के मार्गदर्शन में डॉ सुभाष सोनी द्वारा डॉ वैभव वार्ष्णेय और डॉ सेल्वा कुमार से चर्चा करने के बाद इस ऑपरेशन का प्लान किया गया। सर्जरी में डॉ सुभाष के साथ डॉ पीयूष वार्ष्णेय, डॉ आशीष और डॉ शबाना ने सहयोग किया।निश्चेतना विभाग के डॉ प्रदीप भाटिया, डॉ प्रियंका तथा नर्सिंग ऑफिसर रिंकू ने ऑपरेशन में सहायता की।

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