डिग्रीयों के फर्ज़ीवाड़े के खेल का एक मुख्य 25 हजार का इनामी गिरफ्तार
– साइक्लोनर टीम का ‘ऑपरेशन हेरा-फेरी’
– आसाम में माता कामाख्या से गिरफ्तारी से बचने के लिए मांगी मनौतियां
जोधपुर(डीडीन्यूज),डिग्रीयों के फर्ज़ीवाड़े के खेल का एक मुख्य 25 हजार का इनामी गिरफ्तार। जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम ने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने और फर्जी डिग्रियां देने वाले मुख्य सूत्रधार 25 हजार की इनामी को गिरफ्तार किया है। आरोपी के खिलाफ ऑपरेशन हेरा-फेरी चलाया गया। आरेापी को सायक्लोनर टीम और एसओजी ने संयुक्त कार्रवाई कर नाटकीय तरीके से गिरफ्तार किया है।
जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया कि शारीरिक शिक्षा अध्यापक भर्ती में कई अभ्यर्थियों का बैक डेट से फ़र्ज़ी डिग्री का प्रमाण पत्र बनाने वाले गैंग का एक मुख्य सरगना बिलाड़ा निवासी बाबूलाल पुत्र नाथाराम को गिरफ्तार किया गया है।
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प्रकरण में कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और रजिस्ट्रारों की गिरफ्तारी की जा चुकी है पर लूणी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी के वरिष्ठ शिक्षक के पद पर नियोजित बाबूलाल अपने शातिरपने की बदौलत लगातार भागता हुआ पुलिस की गिरफ्त से दूर चल रहा था। पूछताछ में बाबू लाल ने अनगिनत छात्रों को कई संदिग्ध विश्वविद्यालयों से फ़र्ज़ी डिग्रियां दिलवाना स्वीकार कर लिया है,इस प्रकरण में एसओजी पूर्व से ही 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
दो प्रकरणों में था वांछित :-
आईजी विकास कुमार ने बताया कि आरोपी बाबूलाल राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर के द्वारा आयोजित स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा में फ़र्ज़ी डिग्री के आधार पर चयन के सम्बन्ध में दर्ज दो प्रकरणों में भी वांछित था। यह प्रकरण अजमेर के सिविल लाइन्स पुलिस थाने के प्रकरण संख्या 100/24 और 101/24 में दर्ज हैं जिनमें लाभार्थी आरोपिया कमला कुमारी और बृह्मा कुमारी को बैक डेट से डिग्री उपलब्ध ककराने की साजिश का सूत्रधार भी बाबूलाल ही रहा है।
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पहले हेराफेरी फिर भूमिगत,माता कामाख्या में मांगी मनौतियां
आरोपी पहले तो हेराफेरी के अपने धंधे से अकूत सम्पति बनाई फिर बाबूलाल ने जोधपुर के डॉक्टर का भेद उगलते ही वह बेहद सतर्क होकर भूमिगत हो गया। उसे अपनी गिरफ्तारी का ऐसा डर सताने लगा कि उसने आसाम में अवस्थित माता कामाख्या से ढेर सारी मनौतियां मांग ली और बार बार माता के दरबार जाकर अनुष्ठान करता रहा। एक बार कामाख्या जाता तो कई कई दिनों तक वहीं माता के दरबार में पड़ा रहता। वहां 100 रुपए की पर्ची कटाकर स्थानीय धर्मशाला में रह लेता।
शिलांग में कारोबार करने की सोची फिर रडार पर
आईजी विकास कुमार ने बताया कि इस बार की यात्रा में थोड़ा निश्चिन्त होकर गया बाबूलाल तो शिलॉन्ग की एक यूनिवर्सिटी में फिर अपने कारोबार को फैलाने का उपक्रम शुरू कर दिया। शिलॉन्ग से लौटकर गुवाहाटी और वहां से माता कामाख्या के दरबार में पंहुचा बाबूलाल लगातार टीमों के रडार पे बना रहा। गुवाहाटी के रेलवे स्टेशन पर ख़तरा सोचकर उसने कामाख्या से ही वापस आने का टिकट कटा रखा था।
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ट्रैन में पैंट्री स्टाफ बनकर घूमी साइक्लोनर टीम
बाबूलाल ने 15 मई को कामाख्या से आनंद विहार आने का टिकट ले रखा था। जो सूचना साइक्लोनर और एसओजी के पास आ चुकी थी। एसी का टिकट वेटिंग लिस्ट में होने से पतारसी मुश्किल हो रही थी। ट्रैन में आते ही बाबूलाल को अपने टिकट के कन्फर्म होने की सूचना प्राप्त हो गयी कि उसका सीट नबंर 2 में 16 है। शातिर बाबूलाल ने पकड़े जाने के भय से अपनी सीट पर न बैठकर एक सहयात्री से अनुरोध किया कि वह ऊपरी बर्थ पर नहीं चढ़ पाएंगे और अपनी सीट बदल ली। पीछे पीछे ट्रैन में चढ़ी सायक्लोनर की टीम टीटी से सीट नंबर पता करके सीट तक पहुंची पर वहां कोई और ही आदमी सोया मिलने से टीम भ्रमित होती रही। उस व्यक्ति से पूछताछ से बात खुलने का खतरा देखकर टीम ने पैंट्री कार का स्टाफ बनकर पूरी ट्रेन छान मारी पर बाबूलाल कहीं दिख नहीं पाया।
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छाछ पीने की इच्छा जागी तब आया पकड़ में
एक निचले बर्थ पर कम्बल ओढ़कर और बन्दर टोपी लगाकर सोया बाबूलाल हर बार टीम की निगाह से बचता ही रहा। आखिरकार दिल्ली पहुंचने के थोड़ी देर पहले उसके मन में छाछ पीने की इच्छा जागी तो उसने पैंट्री कार वाले से छाछ लेकर पीना शुरू किया.छाछ पीते समय उसने अपनी टोपी भी उतारी तब जाकर टीम को बाबूलाल के वहां होने की पहचान हुई। आनंद विहार पहुंचते ही टीम ने बड़े आराम से बाबूलाल को दबोच कर उतार लिया। पहले तो उसने विरोध किया पर सायक्लोनर का नाम आते ही शांत होकर अपना पूरा परिचय उगल दिया।
एसओजी जयपुर को सौंपा
आरोपी बाबूलाल ने कई गणमान्य लोगों का नाम लेकर धौंस जमाने की कोशिश भी की पर उसकी दाल नहीं गली। देर रात सायक्लोनर की टीम बाबूलाल को लेकर बस से जयपुर लौट आयी और एसओजी को सौंप दिया। दिल्ली से ही एसओजी की टीम भी साथ ही रही।
मोबाइल टायलेट में बहाना चाहता था
आनंद विहार स्टेशन पर शातिर बाबूलाल ने सायक्लोनर टीम से टॉयलेट जाने की इच्छा व्यक्त की और टॉयलेट जाते ही अपने मोबाइल और अन्य उपकरणों को फ्लश कर टॉयलेट में बहाने की कोशिश की। पर बाहर सतर्क खड़ी टीम ने उसके इरादे भांप लिए और मोबाइल और अन्य उपकरणों के गायब हो सकने के पहले ही उन्हें अपने कब्जे में ले लिया।
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ऐशो आराम जिंदगी से हुआ प्रभावित
पहली बार तनावड़ा के स्कूल में जाते हुए कार में लिफ्ट ली बाबूलाल ने तो वो लोग अजमेर की एक नामचीन यूनिवर्सिटी के कर्मचारी निकले। निजी विश्वविद्यालय के छोटे कर्मचारियों के पास शानदार कार और उनकी ऐशो आराम की जिंदगी ने बहुत प्रभावित किया। फिर उनसे दोस्ती हो गयी और फिर ऐसी दोस्ती हुई कि सारे फ़र्ज़ी डिग्रियों के बंदरबांट के धंधे के साझीदार बन बैठा। दूसरा संयोग तब हुआ जब जोधपुर के एक डॉक्टर के यहाँ पुत्र को दिखाने गया बाबूलाल अपनी बातों से डॉक्टर को इस कदर प्रभावित कर बैठा कि हाथोंहाथ डॉक्टर ने अपनी छोटी बहन को भी शिक्षक बनवाने के लिए बाबूलाल से मिन्नतें शुरू कर दी।
तीसरा संयोग हुआ जब कामाख्या आनंद विहार एक्सप्रेस ट्रेन से दिल्ली वापस आते समय ट्रेन में ढूंढते-ढूंढते सायक्लोनर की टीम परेशान होती रही पर बाबूलाल का पता नहीं चल पा रहा था।