ऋतु अनुसार जीवनशैली से रोगों से बचाव संभव- कुलपति
- आयुर्वेद विश्वविद्यालय के चिकित्सालय में निःशुल्क शल्य चिकित्सा शिविर का समापन
- 20 से 25 फरवरी को निःशुल्क शल्य चिकित्सा शिविर के पुनः आयोजित होगा
जोधपुर,डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर के स्नातकोत्तर शल्य तंत्र विभाग के तत्वावधान में 23 जनवरी से प्रारंभ हुआ निःशुल्क शल्य चिकित्सा शिविर आज संपन्न हुआ। समापन के अवसर पर कुलपति प्रो. वैद्य प्रदीप कुमार प्रजापति ने विभिन्न गुदा रोगों अर्थ (मस्सा),भगन्दर(नासूर) तथा गुदा में जलन से बचाव के लिए आहार एवं जीवनशैली पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यदि मनुष्य ऋतु अनुसार एवं उचित समय पर भोजन ग्रहण करे तो गुदा रोगों से बचा जा सकता है।
उन्होंने ने कहा कि गुदा रोगों की चिकित्सा में क्षारसूत्र चिकित्सा पद्धति अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तुलना में उपद्रव रहित एवं सफल चिकित्सा है। कुलपति ने गुदा रोगों से बचाव के अन्य उपायों की चर्चा करते हुए अत्यंत तीक्ष्ण,उष्ण, अम्ल भोजन से बचने तथा अधिक समय तक खड़े रहने या अधिक पैदल चलने से बचने की सलाह देते हुए पर्याप्त पानी पीने तथा गाजर,मूली, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि रेशेदार खाद्य पदार्थों के अधिक उपयोग पर बल दिया।
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जनप्रतिनिधियों की मांग को देखते हुए कुलपति ने घोषणा की कि यह निःशुल्क शल्य चिकित्सा शिविर पुनः 20 से 25 फरवरी को विश्वविद्यालय आयुर्वेद चिकित्सालय में आयोजित किया जायेगा। समापन के अवसर पर स्नातकोत्तर शल्य तंत्र विभाग के डॉ. विष्णु दत्त शर्मा एवं डॉ.संजय श्रीवास्तव के साथ एनेस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ.पीएस जोवा, चिकित्सालय अधीक्षक प्रो.प्रमोद कुमार मिश्रा,डीन रिसर्च प्रो प्रेम प्रकाश व्यास,द्रव्यगुण विभागाध्यक्ष, प्रो.चन्दन सिंह,स्वस्थवृत विभागाध्यक्ष डॉ.ब्रह्मानंद शर्मा,पंचकर्म विभागाध्यक्ष डॉ.ज्ञानप्रकाश शर्मा, मौलिक सिद्धान्त विभागाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र चाहर,पंचकर्म विशेषज्ञ प्रो. महेश चन्द्र शर्मा,डॉ.ए नीलिमा रेड्डी, पीजी स्कालर्स,नर्सिंग स्टाफ एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
स्नातकोत्तर शल्य तंत्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस निःशुल्क शल्य चिकित्सा शिविर में मस्सा,नासूर,गुदा में जलन की चिकित्सा क्षार सूत्र पद्धति से की गई तथा गृबसी बात आयटन,पुराने घाव (व्रण), मधुमेह जन्यव्रण आदि रोगों का अग्निकर्म एवं जलीका के द्वारा इलाज किया गया।
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चिकित्सालय अधीक्षक प्रो.प्रमोद कुमार मिश्रा ने बताया कि इस आवासीय चिकित्सा शिविर में अर्श (मस्सा),भगन्दर (नासूर) तथा गुदा में जलन के 38 रोगियों को भर्ती कर क्षार सूत्र पद्धति से शल्य कर्म किया गया तथा गृचसी बात,आयटन,पुराने घाव (व्रण),मधुमेह जन्य व्रण आदि रोगों से पीड़ित15 रोगियों का अग्निकर्म एवं जलीका के द्वारा निःशुल्क इलाज किया गया। शिविर के दौरान रोगियों को निःशुल्क भोजन तथा दूध भी उपलब्ध करवाया गया।
आचार्य सुश्रुत द्वारा प्रणीत सुश्रुत संहिता में क्षारकर्म के साथ-साथ अग्निकर्म चिकित्सा का विभिन्न रोगों के प्रबंधन में तत्काल सफल परिणाम प्राप्त होता है।
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