• सर्वेक्षण का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत व डॉ जितेंद्र सिंह करेंगे
  • सर्वेक्षण हेलीकाप्टर को हरीझंडी दिखा कर रवाना करेंगे

जोधपुर,भारत के उत्तर पश्चिम भाग राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्यों में फैले शुष्क क्षेत्रों में पानी की समस्या के निवारण और भूजल संसाधनों को बढ़ाने के लिए उच्च विभेदन जलभृत (हाई रेसोलुसन एक्विफ़र) का मानचित्र बनाने और जल प्रबंधन करने हेतु भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय ने इस सर्वेक्षण कार्यक्रम को स्वीकृति दी है। दो चरणों में होने वाले इस सर्वेक्षण के अन्तर्गत पहले चरण (2021-22) में लगभग एक लाख वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र शामिल किया गया है, जिसमें राजस्थान के आठ ज़िलों में लगभग 65,500 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र, गुजरात के 5 ज़िलों का 32,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और हरियाणा के 2 जिलों में 2,500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र सम्मिलित है।

इन क्षेत्रों में हैलिकॉप्टर में उच्च भूभौतिकीय तकनीक के सयंत्र को लगा कर सर्वेक्षण और अन्य वैज्ञानिक अध्ययनों के उपयोग के लिए केंद्रीय भूमिजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) जलशक्ति मंत्रालय और सीएसआईआर- एनजीआरआई,हैदराबाद के बीच 21 दिसंबर 2020 को एक करार किया गया। मौजूदा समय में भूजल के तेजी से और बहुत बड़े क्षेत्रों में हाई रेसोलुसन एक्विफ़र का मानचित्र बनाने के लिए यह सबसे उन्नत भूभौतिकीय तकनीक है। केंद्रीय भूमिजल बोर्ड, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देश के इतने बड़े शुष्क/अर्धशुष्क क्षेत्र में जलभृतों की पहचान करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का निर्णय लिया।

हेलीकॉप्टर युक्त भूभौतिकी सर्वेक्षण का उद्घाटन भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान ग्राउंड, ठेंगडी नगर, चौखा, जोधपुर में मंगलवार को 11 बजे केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत एवं डॉ जितेंद्र सिंह, केन्द्रीय राज्यी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी् विज्ञान मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय,परमाणु ऊर्जा विभाग,अन्तभरिक्ष विभाग भारत सरकार, के द्वारा हरी झंडी दिखाकर क्षेत्र के सर्वेक्षण हेतु उड़ान भरेगा।

सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य

०जलभृत मानचित्रण, कृत्रिम पुनर्भरण के लिए स्थलों, 3 डी भूभौतिकीय प्रतिरूप, भूभौतिकीय विषयगत मानचित्र, असंतृप्त जलभृतों की जानकारी के साथ भूजल की गुणवत्ता की पहचान।

०पुरा-वाहिका नेटवर्क का स्थानागत वितरण, यदि कोई हो और जलभृत प्रणाली के साथ उसकी संलग्नता।

०भूजल निकासी के लिए उत्तम उपयुक्त स्थल और कृत्रिम या प्रबंधित जलभृत पुनर्भरण के जरिए जल संरक्षण।
इस अध्ययन के निष्कर्षों से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भूजल स्तर में सुधार करने के लिए क्षेत्र विशिष्ट योजनाएं तैयार करने और भूजल संसाधनों के सतत प्रबंधन के लिए मार्ग प्रशस्त करने में मदद मिलेगी।

दूरदृष्टिन्यूज़ की एप्लिकेशन अभी डाउनलोड करें – http://play.google.com/store/apps/details?id=com.digital.doordrishtinews