महिलाओं के सशक्तिकरण कठोर कदम की आवश्यकता-जस्टिस व्यास
जोधपुर, मानवाधिकार आयोग, राजस्थान एवं श्रीजयनारायण व्यास शिक्षण संस्थान द्वारा संचालित महिला पीजी महाविद्यालय एवं के संयुक्त तत्वावधान में एसएन जोधावत ऑडिटोरियम में अन्तर महाविद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास के संरक्षण में किया गया। इसका विषय “मानव अधिकार एवं महिला सशक्तिकरण मिथक अथवा वास्तविकता” था। राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण व्यास ने अपने उद्बोधन में महिलाओं को सशक्त करने के लिए कठोर कदम उठाने की बात कही। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए आयोग द्वारा किये जा रहे कार्यों को रेखांकित किया तथा न्यायालय द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाये गये प्रयासों का जिक्र किया।
महिलाओं को पारिवारिक,सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से से मजबूत करने का प्रयास किया जाना चाहिए। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. मनोरमा उपाध्याय ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि जहां धर्म की स्थापना होती है वहां न्याय होता है और जहां न्याय की स्थापना होती है वहाँ मानवाधिकार की बात होती है। उन्होंने प्रतियोगिता में सम्मिलित 16. विश्वविद्यालय और महाविद्यालय से आए प्राध्यापकों एवं 34 प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रतियोगिता में भाग लेना ही विजय होना है। हमें हमेशा विद्यार्थी बन कर अनवरत सीखते रहना है। इस अवसर पर निर्णायक प्रो.कौशल नाथ उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान समय में नारी को आत्म निर्भर बनाना अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।
उन्होंने अपनी एक कविता के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया कि नारी अपने लोगों के लिए नदियों की तरह बहती रही और पहाड़ों की तरह अटल रही, आग और पानी की तरह स्त्री और पुरुष मिलकर विकास करने में समर्थ है। निर्णायक डॉ. विजय शंकर व्यास ने कहा कि मानवाधिकार द्वारा बताई गयी शपथ हमें अपने जीवन में ग्रहण करनी चाहिए। हमारी सोच मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण के प्रति सकारात्मक होनी चाहिए। निर्णायक डॉ. राजेन्द्र कृष्ण व्यास ने कहा कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए किसी प्रकार का कोई अत्याचार नहीं होना चाहिए।
अतिरिक्त न्यायधीश शैलेन्द्र व्यास ने कहा कि इस प्रतियोगिता का आयोजन मानवाधिकार और महिला सशक्तिकरण के लिए सफल रहा है। प्रत्येक मानवाधिकार हमारे कर्तव्य से जुड़ा हुआ होता है। न्यायपालिका महिलाओं के लिए कानून पर निर्णय तो देती है परन्तु उसके प्रति सजगता भी आवश्यक है। हमें अपने कर्तव्यों का पालन अधिकारों के साथ करना चाहिए। राज्य मानवाधिकार आयोग, राजस्थान के द्वारा पोस्टर का विमोचन किया गया। इस पोस्टर में पुलिस गिरफ्तारी के समय मानव अधिकार के बारह बिन्दुओं का पालन किस प्रकार किया जाये उसका उल्लेख है।
इस अवसर पर जेल एवं मानवाधिकार पर एक लघु फिल्म दिखाई गयी। इस प्रतियोगिता में प्रो. एडी बोहरा नेगोरियल चीमेन्स लॉ कॉलेज की भावना परिहार एवं एश्वर्या कॉलेज की गरिमा जैन ने संयुक्त रूप से प्रथम स्थान प्राप्त किया। इन्हें पुरस्कार के रूप में 5100 रुपये एवं प्रशस्ति पत्र, जेएनबीयू की विनिता वैष्णव ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इन्हें पुरस्कार के रूप में 3100 रुपये एवं प्रशस्ति पत्र तथा सोमानी कॉलेज की प्रीति सिंह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया इन्हें पुरस्कार के रूप में 2100 रूपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये बी एम लॉ कॉलेज की प्रणत शर्मा, प्रो.ए डी बोहरा मेमोरियल वीमन्स लॉ कॉलेज की खुशी एम पटवा और बी एम लॉ कॉलेज की मेघाश्री को सान्तवना पुरस्कार के रूप में 1100 रूपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
प्रो. एसपी व्यास ने कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस पल को स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाये। उन्होंने एनसीसी कैडेट्स का आभार प्रकट किया और उन्हें आशीर्वाद दिया। सभी विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों से आये प्रतिभागियों का भी आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में श्रीजयनारायण व्यास शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष ई. केसी बोहरा, ई. जीपी व्यास, श्यामलाल हर्ष, डॉ. वीडी दवे, प्रो. केएन व्यास, सीए मुकेश व्यास, डॉ. मनोज व्यास, डॉ. श्वेता पुरोहित एवं सभी शैक्षणिक कर्मचारी एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे। संचालन खुशी मेहरा और रूचिका शर्मा ने किया। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. हेमा जैन, डॉ. कोमल शर्मा व हेमेन्द्रा प्रभाकर थे।
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