मंच शिल्प के बिना नाटक अधूरा

मंच पार्श्व कार्यशाला का चौथा दिन

जयपुर,मंच शिल्प के बिना नाटक अधूरा। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा जवाहर कला केन्द्र में आयोजित 6 दिवसीय मंच पार्श कार्यशाला के चौथे दिन प्रशिक्षण के लिए फ़िरोज़ खान आए। अकादमी अध्यक्ष बिनाका जेश ने बताया कि राज्यमंत्री एवं वरिष्ठ नाट्यधर्मी रमेश बोराणा की परिकल्पना के अनुसार तीन प्रशिक्षक बुलाए गए। जिसमें केरल में जन्मे फिरोज खान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा नई दिल्ली से डिजाइन एवं डायरेक्शन में स्नातक हैं। स्कूल ऑफ ड्रामा,त्रिशूर से स्नातकोत्तर फिरोज़ कई प्रसिद्ध निर्देशकों के साथ भारत एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्देशनऔर रंग तकनीक पर कार्य कर चुके हैं।उनके प्रमुख निर्देशकीय उपक्रमों में वस्त्र सज्जा,दृश्यावली,वीडियो कला स्थापना,मंच प्रबंधन,तकनीकी निर्देशन,परियोजना प्रबंधन,थिएटर निर्माण और शिक्षाशास्त्र में रोजगार शामिल है।

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फिरोज़ राष्ट्रिय स्तर के थिएटर निर्देशक,कठपुतली कलाकार,भारत के प्रतिष्ठित परिदृश्य निर्माता,थियेटर इन एजुकेशन एक्सपर्ट,डिजिटल कलाकार,शौकिया अभिनेता,जादूगर, लेखक,संगीतकार और दृश्य कलाकार हैं। फिरोज़ ख़ान ने आज स्टेज क्राफ्ट के विभिन्न पहलुओं में से स्टेज अभिकल्पन के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने अभिकल्पन के बुनियादी तत्वों पर चर्चा करते हुए मंच पर सेट तेयार करते हुए रंग तकनीक और सौंदर्य बोध के बारे में बताया। कलाकार और दृश्य के अनुरूप किस तरह प्रकाश व प्रॉपर्टी को इस्तेमाल करना चाहिए। उनके स्थान निर्धारण में आर्टिकल्स के आकार,रंग और फॉर्म के अन्तर्सम्बन्धों को व्याख्यायित किया। अलग-अलग आकृतियों को बनाना और उनके इस्तेमाल के व्यवहारिक पक्ष को भी समझाया। उसमें संतुलन बनाते हुए रिदम को कायम रखने के बारे में जसनकारी दी। किसी भी आकृति और फॉर्म का सेट एवं दर्शकों पर पड़ने वाले प्रभाव के मनोविज्ञान को भी समझाया गया। एक बेहतर प्रपोर्शन के मंच अभिकल्पना में महत्व को भी बताया। स्पेस के विभाजन की तकनीक पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मनुष्य की दैहिक लाइन और सोच की एनाटोमी एक जैसी है।

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