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रचनात्मकता के नव आयामों के साथ मंच कार्यशाला संपन्न

जयपुर,राजस्थान संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित प्रदेश की पहली मंच पार्श्व कार्यशाला कला प्रतिभाओं में सृजना के नव आयाम स्थापित करते हुए आज सफलता पूर्वक संपन्न हो गई। इस अवसर पर कलाविद राज्यमंत्री रमेश बोराणा ने कहा कि कला में कल्पना और यथार्थ का बेजोड़ सामंजस्य होता है जो रचनात्मकता को आधार व स्वरूप प्रदान करती है। जवाहर कला केन्द्र में आयोजित मंच पार्श्व पर आधारित कार्यशाला के अंतिम दिन प्रतिभागियों ने पिछले छः दिनों में जो सीखा उसको मूर्त रूप दिया। उन्होंने पहले विभिन्न नाटकों के चरित्रों के मॉडल बनाए और फिर उन्हीं नाटकों के सैट अपनी कल्पना के अनुरूप बनाया।

स्टेज क्राफ्ट विशेषज्ञ फिरोज़ ख़ान ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए वस्त्र विन्यास के बारे में महत्वपूर्ण सूत्र दिए। उन्होंने कलाकार के मनोभाव और कहानी, परिवेश और समय को ध्यान में रखते हुए वस्त्र विन्यास के अभिकल्पन पर जोर दिया। ड्रेस डिज़ाइन में रंग, मैटेरियल,चरित्र के साथ साथ कलाकार के पद संचालन में बनती हुईं बॉडी लाइन को ध्यान में रखना चाहिए।वस्त्र से चरित्र उभरना चाहिए। एक डिज़ाइनर को यह जानना जरूरी है कि उसके अभिकल्पन का देखने वाले पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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कार्यशाला में बाईस सेट बने जो एक दूसरे से सर्वथा भिन्न थे, उसके पात्र विशेष के लिए वस्त्र विन्यास का अभिकल्पन किया। कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए। कार्यशाला में अकादमी की ओर से भाग ले रहे पर्यवेक्षकों ने अपनी राय अकादमी अध्यक्ष बिनाका जेश मालू और नाट्य विशेषज्ञ रमेश बोराणा के सामने रखे। रमेश बोराण ने उम्मीद जताई कि इस कार्यशाला से रंगमंच का नया स्वरूप विकसित करने में मदद मिलेगी। भविष्य में अकादमी की रंगमच के विकास को लेकर परिकल्पना की। उन्होंने कार्यशाला के क्रियान्वयन में अकादमी अध्यक्ष की सकारात्मक सोच के लिए साधुवाद दिया।

अकादमी बिनाका जेश मालू ने कहा कि रमेश बोराणा ने इस कार्यशाला की न केवल परिकल्पना की बल्कि अपनी सक्रिय उपस्थिति से सभी में ऊर्जा का संचार किया और हमारा उत्साहवर्धन किया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और फिरोज़ ख़ान का सम्मान किया। कार्यशाला के संयोजक गगन मिश्रा और समन्वयक अभिषेक मुद्गल का भी धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अभिवादन किया। रमेश बोराणा और बिनाका जेश मालू ने जयपुर रंगमंच से जुड़े वरिष्ठ रंगकर्मियों से रंगमंच की समस्याओं और उनके समाधान के सुझाव भी आमंत्रित किए।

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