ऐश्वर्या काॅलेज की प्लाईग सिख ऑफ इण्डिया मिल्खा सिंह को श्रद्धांजलि

जोधपुर, भारत के प्लाईग सिख के नाम से प्रसिद्ध पद्मश्री मिल्खा सिंह के निधन की सूचना पर ऐश्वर्या काॅलेज की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनके द्वारा स्थापित किये गये किर्तीमानो को याद किया गया। मिल्खा सिंह ऐश्वर्या काॅलेज का वार्षिकोत्सव में भाग लेने हेतु पहली और आखरी बार ही जोधपुर आए थे।

इस अवसर पर काॅलेज के चैयरमेन भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वर्ष 2015 में मिल्खा सिंह काॅलेज के वार्षिकोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आए थे। तब भारत की इतनी महान विभूति से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ, जो अपने आप में ऐथलिट को समर्पित व्यक्ति थे।

ऐश्वर्याकाॅलेज फ्लाइंगसिख  मिल्खा सिंह श्रद्धांजलि

उनके व्यक्तित्व के बारे में और उनके द्वारा किये गये उत्कृष्ठ कार्याे के बारे में जानने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होने बताया कि मिल्खा सिंह का बचपन अविभाजित भारत के तत्कालिन लाहौर में बीता, माता-पिता के देहान्त के बाद वे बटवारे के पश्चात दिल्ली में आ गये थे। जिसके बाद उनका प्रारम्भिक जीवन बेहद ही संघर्ष करते हुए व्यतित हुआ।

ऐश्वर्याकाॅलेज फ्लाइंगसिख  मिल्खा सिंह श्रद्धांजलि

मिल्खा सिंह ने राठौड़ को बताया था कि शुरूआती दौर में उन्होने ट्रेलर शाॅप में बतौर कर्मचारी काम किया और वहां से ही संघर्ष करते हुए सेना में भर्ती हुए। बेहद ही अल्प संसाधनो के द्वारा अपना ऐथलिट कॅरियर की शुरूआत कि। उनके पास पहनने के लिए जूते नहीं थे इस कारण वे पांव पर पट्टी बांधकर अल सुबह दौड़ने निकल जाया करते थे और दौड़ना उनका एक जुनून था।

ऐश्वर्याकाॅलेज फ्लाइंगसिख  मिल्खा सिंह श्रद्धांजलि

राठौड़ ने बताया कि वे जब ऐश्वर्या काॅलेज आए थे और जब एक पत्रकार ने उनसे इंटरव्यू के दौरान पूछा था कि आज भी आप दौड़ लगा सकते हैं? उन्होने उस प्रश्न के जवाब में वहां मौजूद सभी लोगो से आग्रह करते हुए कहा कि मैं 86 साल का हूं और आप सभी मुझसे आधी उम्र के लोग हैं फिर भी मुझसे दौड़ में कोई जीत कर दिखाए। ऐसा जुनून और जज्बा उनमें ही देखने को मिला था।

मिल्खा सिंह ने बताया कि उनके परदादा पहले राजस्थान में ही निवास किया करते थे। बाद में वे लाहौर चले गये इसलिए राजस्थान से भी उनका गहरा लगाव था। उन्होने ऐश्वर्या काॅलेज के विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि मेरा ऐश्वर्या काॅलेज में आना तभी सफल होगा जब यहां से दस मिल्खा सिंह निकले और देश का नाम रोशन करे।

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उन्होने विद्यार्थियों को प्रेरणा देते हुए कहा कि सफलता के लिए संघर्ष अत्यन्त आवश्यक है। इसलिए हमेशा संघर्षशील रहना चाहिए। विद्यार्थियों की सफलता के लिए उन्होने अभिभावकों से कहा कि वे भी विद्यार्थियों के संघर्ष का हिस्सा बने जिससे सफलता प्राप्त की जा सके। उन्होने भूपेन्द्र सिंह को बधाई देते हुए कहा कि दो विद्यार्थियों से काॅलेज प्रारम्भ कर चार हजार विद्यार्थियों के स्तर पर काॅलेज को ले जाना एक संघर्ष से ही सम्भव है। अतः सभी को संघर्षशील रहना चाहिये।