लोककला के संगम पर कद्रदानों ने लगाई डुबकी
- लोकानुरंजन मेले का रंगारंग आग़ाज़
- तीन दिन बहेगी लोककला की संगीत सरिता
- कोरोना के कहर से उबर रहे शहर में हुआ बड़ा सार्वजनिक आयोजन
जोधपुर, जयनारायण व्यास स्मृति छवि गृह में हुए लोककला के संगम पर कद्रदानों ने डुबकी लगाकर लोककला के मोती उलीच लिए। आज देश के 11 राज्यों के लोक कलाकारों मेला शहर के टाउनहाल में शहर वासियों को देखने को मिला। शुक्रवार सायं 6 बजे तीन दिवसीय लोकानुरंजन मेले के रंगारंग उद्घाटन पर प्रथम चरण में टाउनहॉल के प्रांगण में अलग-अलग राज्यों के 8 सौ लोक कलाकारों ने अपनी साधी हुई लोककला की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद व उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सहयोग से राजस्थान सहित 11 राज्यों के लोककलाकारों ने अपने प्रदेश के लोक गीत,संगीत और नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। खुले प्रांगण में पहले सत्र में विभिन्न मंच पर करीब से लोगों ने लोक कला के ज़ादू को निहारा।इसमें गैर, भपंग, तेरहताली,सहरिया, कालबेलिया, मयूर नृत्य,कठपुतली, लंगा-मांगणियार के अलावा कई तरह की प्रस्तुति कलाकारों ने दी।
दूसरे सत्र में प्रेक्षाग्रह के मंच पर राजस्थान के जोधपुर एवं बाड़मेर के जेपुखां व शरीफ का लंगा गायन के अलावा विजयलक्ष्मी का चरी नृत्य ने समा बांध दिया। कश्मीर की रुबिका मुश्ताक ने रूफ नृत्य,उत्तराखंड के नवीन ने घसियारी नृत्य,मध्यप्रदेश की सुमन ने कर्मा शैली नृत्य,हिमाचल की पूनम ने जमकड़ा नृत्य,मध्य प्रदेश की तृप्ति नागर ने बधाई नृत्य,महाराष्ट्र की अदिति लकारे ने कोली नृत्य, उडिसा के रवि ने संबलपुरी नृत्य,उत्तराखण्ड के भगतसिंह राणा ने जौनसारी नृत्य, झारखण्ड के स्रष्टिधर महतो ने छउ नृत्य व हरियाणा के सलीम ने फाग व घूमर तथा पंजाब के मनप्रितसिंह ने भांगड़ा की लाज़वाब प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
लोकानुरंजन मेले का उद्घाटन शहर विधायक मनीष पंवार ने किया। अकादमी सचिव अनिल जैन ने स्वागत किया। संचालन प्रमोद सिंघल व बिनाका जैश ने किया।
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