एक वीर जिनकी रगों में केवल देशभक्ति का खून बहता था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस

एक वीर जिनकी रगों में केवल देशभक्ति का खून बहता था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस

23 जनवरी1897,कटक (उड़ीसा)

किसी राष्ट्र के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि है, इस मूलमंत्र को शैशव और नव युवाओं की नसों में प्रवाहित करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की आज 126वीं जयंती है।नेता जी का जीवन और त्याग आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। नेताजी के मन में देश प्रेम, स्वाभिमान और साहस की भावना बचपन से ही बड़ी प्रबल थी। जब वे कॉलेज में थे तब एक प्रोफेसर मिस्टर ओ भारतीय छात्रों के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे, अकारण ही भारतीय छात्रों को पीटते थे। सुभाष इसकी शिकायत प्रिंसिपल के पास लेकर गए और मिस्टर ओ से माफी मंगवाने के लिए कहा, प्रिंसिपल के मना करने पर उन्होंने हड़ताल की और मिस्टर ओ को माफी मांगनी पड़ी लेकिन मिस्टर ओ अभी भी नहीं सुधरे। उन्होंने भारतीय छात्रों को फिर से पीटा, इस बार छात्रों ने भी उन्हें पीट दिया। जब बात प्रिंसिपल के पास पहुंची तो प्रिंसिपल ने कहा, आपने पीठ पीछे वार किया नेता जी बोले, पीठ पीछे नहीं सामने से वार किया है, कायर नहीं है हम। इस घटना के बाद उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया। नेताजी का मानना था गलत के आगे झुकना नहीं और सच का साथ छोड़ना नहीं।अपराध करना अपराध नहीं है,अन्याय को सहना अपराध है।

पिता के कहने पर आईसीएस परीक्षा की तैयारी की और चौथी रैंक के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन जिनके दिलों में देशभक्ति का जज्बा होता है, वे मखमल के बिस्तर को छोड़कर कांटों भरी राह पर ही चलते हैं। इन्होंने 1921 में ही आईसीएस की नौकरी छोड़ दी। जब वे मुंबई लौटे तो हजारों लोग उनसे मिलने पहुंचे। लोगों की भीड़ देखकर उनको समझ आया कि आईसीएस की नौकरी छोड़ने पर लोगों ने इतना विश्वास किया तो यदि मैं और मेहनत करूं तो पूरे देश को इकट्ठा कर सकता हूं। यहीं से उन्होंने अपने देश की आजादी का सफर शुरू किया।

अपनी छोटी सी आयु में ही सुभाष ने जान लिया था कि जब तक सभी भारतवासी एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे तब तक हमारे देश को उनकी गुलामी से मुक्ति नहीं मिल सकती। “तुम मुझे खून दो,मैं तुम्हें आजादी दूंगा” जैसा नारा देकर उन्होंने युवाओं में आजादी का जोश भरा। ऐसा जोश आज के भ्रमित होते युवाओं में देश प्रेम के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा था हमारा सफर कितना ही भयानक,कष्टदाई और बदतर हो सकता है लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता है, लेकिन उसका आना अनिवार्य ही है। नेताजी के विचार विश्वव्यापी थे। उन्होंने अपने भाषण में कहा था विचार व्यक्ति को कार्य करने के लिए धरातल प्रदान करता है। उन्नतिशील व शक्तिशाली पीढ़ी की उत्पत्ति के लिए हमें बेहतर विचार वाले पद का अवलंबन करना होगा।क्योंकि जब विचार महान,साहस पूर्ण और राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होंगे तभी हमारा संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा।

भारत के महान कवि गोपाल प्रसाद व्यास की चंद पंक्तियां नेताजी की देशभक्ति को देश के आभा पटल पर प्रसारित करती हैं…

“उस दिन लोगों ने सही-सही
खून की कीमत पहचानी थी
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मांगी खून की कुर्बानी थी

बोले स्वतंत्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें देना होगा
तुम बहुत जी चुके हो जग में
लेकिन आगे मरना होगा

आजादी के चरणों में जो
जय माल चढ़ाई जाएगी
वह सुनो तुम्हारे शीशों के
फूलों से गुंथी जाएगी”

(कविता -खूनी हस्ताक्षर)

नेताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन योद्धाओं में से एक हैं जिनका नाम और जीवन आज भी करोड़ों देश वासियों को मातृभूमि के लिए समर्पित होकर कार्य करने की प्रेरणा देता है। महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन। कृतज्ञ राष्ट्र देश की आजादी के लिए उनके त्याग और समर्पण को सदा याद रखेगा।

एक वीर जिनकी रगों में केवल देशभक्ति का खून बहता था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस

 

 

 

 

 

 

लेखक – रामु राम जाखड़

व्याख्याता, इतिहास राउमावि उम्मेद नगर तिंवरी जोधपुर,
प्रदेश उपसभाध्यक्ष रेसला, राजस्थान
पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आन्दोलन जिलाध्यक्ष जोधपुर।

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