चिकित्सा पेशा विश्वास पर टिका है पैसों पर नहीं-डाॅ.शिवकुमार
प्रदेश के पहले हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ. शर्मा ने बच्चों के संग क्रिकेट खेल मनाया 100वां जन्मदिन
जोधपुर,राजस्थान के पहले हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ.शिवकुमार शर्मा ने कहा है कि चिकित्सा का पेशा विश्वास पर टिका है। विश्वास नहीं तो संजीवनी बूटी का भी कोई असर नहीं हो सकता है। अपने काम के प्रति ईमानदारी और सेवा भाव से चिकित्सकीय पेशे में खुशियां हासिल की जा सकती है। हर डाॅक्टर की पहली प्राथमिकता उसके मरीज होने चाहिए। मरीज व उनके परिजन के मन में भी डाॅक्टर के प्रति सकारात्मक भाव होना चाहिए। जब दोनों ओर से सकारात्मक भाव रहेंगे तो न सिर्फ मरीज का बेहतर उपचार होगा बल्कि डाॅक्टर भी पूरी ईमानदारी से सेवा प्रदान कर सकेंगे।
डाॅक्टर शिव कुमार ने अपने 100वें जन्मदिन पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि चिकित्सा सेवा भाव और विश्वास का पेशा है लेकिन वर्तमान समय में डाॅक्टरों में पैसा कमाने की होड़ मची हुई है और मरीजों की बढ़ती अपेक्षाओं ने डाॅक्टर व मरीज के बीच दूरिया बढ़ा दी हैं। लिहाजा इस पेशे से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है जो चिंता का विषय है। उन्होनें कहा कि अस्पतालों में तोड़ फोड़, मारपीट की घटनाएं बढ़ रही है जिससे डाॅक्टर भी भयभीत रहने लगे हैं। डाॅक्टर शिवकुमार मानते हैं कि चिकित्सा सेवा में गिरावट आई है। इस कारण युवा डाॅक्टर मेडिकल प्रोड्क्शन एक्ट का सुरक्षा कवच चाहने लगे हैं।
उन्होनें मीडिया को बताया कि पहले लोग चिकित्सा सेवा को बड़ी इज्जत से देखते थे। सारे डाॅक्टर अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरूआत करते है तो उनके मन में नैतिकता और पीड़ित लोगों की मदद का जज्बा होता था। जिसकी वे कसम खाते थे। इसके बाद कुछ लोग इस विचार से पथ भ्रमित होकर अनैतिकता की राह पर चल पड़े हैं जो शुभ संकेत नहीं है। उन्होनें अपने 100वें जन्मदिन पर चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों को संदेश देते हुए कहा कि डाॅक्टर अपने अंतर्मन में झांके,अपनी जिम्मेदारी को समझें और चिकित्सा को पैसा कमाने का पेशा नहीं बनाकर मानवीय सेवा को पेशा बनाए।
बच्चों के संग खेली क्रिकेट
हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅक्टर शिव कुमार शर्मा ने बच्चों के संग क्रिकेट खेल कर अपने 100वें जन्मदिन को सेलिब्रेट किया। डाॅक्टर शर्मा एसएन मेडिकल काॅलेज व बीकानेर मेडिकल काॅलेज में सेवाएं दे चुके हैं। डाॅक्टर शर्मा प्रदेश के पहले हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं। उम्र के साथ उनकी बोलने व सुनने की क्षमता पर जरूर असर पड़ा है लेकिन उनके एक्टीवनेश पर कोई कमी नहीं आई है। वर्ष1977 में सेवानिवृत हुए डाॅक्टर शिव कुमार आज भी बच्चों के साथ बैट उठाकर क्रिकेट जैसे खेल खेलते हैं। उन्होनें अपने 100वें जन्मदिन को भी बच्चों के संग क्रिकेट खेल कर सेलिब्रेट किया।
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