जोधपुर, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, द्वितीय ने एक  निर्णय में परिवादी के अवयस्क पुत्र के मृत्यु बीमा क्लेम की राशि का भुगतान नहीं करने पर भारतीय जीवन बीमा निगम पर हर्जाना लगाया है।

मामले के अनुसार परिवादी मनमोहन राठी ने आयोग के समक्ष एलआईसी के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसके अवयस्क पुत्र का जीवन बीमा करवाने के तीन वर्ष बाद कैंसर से मृत्यु होने के बावजूद राशि का भुगतान नहीं कर नाजायज रूप से बीमा कलेम को खारिज कर दिया गया है।

एलआईसी की ओर से ज़बाब प्रस्तुत कर आयोग को बताया गया कि परिवादी के पुत्र का इलाज कोकिलाबेन धीरूभाई अम्बानी अस्पताल, बम्बई में चला। इस अस्पताल की डिस्चार्ज रिपोर्ट के अनुसार पुत्र को ढाई वर्ष की उम्र से ही उक्त बीमारी होने के बावजूद पूर्व- बीमारी के तथ्य को छिपाकर धोखे से बीमा पालिसी प्राप्त की गई है।

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आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की न्यायपीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपने निर्णय में कहा है कि परिवादी के पुत्र की मृत्यु 16 वर्ष की आयु में हुई है तथा वह कक्षा आठ तक रेगुलर छात्र के रूप में देहली पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत रहकर अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होता रहा है।

ढाई वर्ष की उम्र से ही ब्लड कैंसर से पीड़ित व कीमोथेरेपी लेने वाले बालक के लिए यह सब संभव नहीं है। पूर्व बीमारी के  इलाज के संबंध में अन्य कोई दस्तावेज या चिकित्सक की साक्ष्य पेश नहीं होने से आयोग ने मात्र डिस्चार्ज रिपोर्ट में ढाई वर्ष की उम्र से ही यह बीमारी होने के कथन को आधारहीन व असत्य होना ठहराया तथा इस आधार पर बीमा क्लेम खारिज करना जीवन बीमा निगम की सेवाओं में कमी व त्रुटि होना निर्धारित किया।

आयोग ने परिवाद को स्वीकार करते हुए निर्णय में मृत्यु बीमा क्लेम की राशि आठ लाख रुपए समस्त परिलाभों व 9 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करने के साथ परिवादी को शारीरिक व मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के रूप में 10 हजार रुपए व परिवाद व्यय के निमित्त 5 हजार रुपए अदा करने का भी एलआईसी को आदेश दिया है।

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