शब्द संदर्भ : शहीद

पार्थसारथि थपलियाल

शहीद शब्द का उपयोग भारत में बीसवीं शताब्दी में अधिक किया जाने लगा। अंग्रेजों की दासता से मुक्ति पाने के लिए किए गए स्वाधीनता आंदोलन के दौरान आंदोलन में सक्रिय रहते हुए जिन लोगों नें अपना जीवन राष्ट्र सेवा में अर्पित किया उन्हें शहीद कहा जाने लगा। जैसे शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि। राष्ट्र सेवा में अपने जीवन को दान दे देने के लिए “शहीद” शब्द भारतीय संदर्भ में उपयुक्त नही है।

शहीद शब्द अरबी भाषा का शब्द है। शहीद शब्द मूलतः शहाद शब्द से है। इस्लाम धर्म में शहाद शब्द का एक अर्थ गवाही या साक्ष्य है। आमतौर पर ईद का चांद देखने के लिए चाँद कमेटी के लोग चाँद दिखाई देने का प्रमाण या साक्ष्य देते हैं उसे शहादत कहते हैं। शहीद शब्द का एक अन्य अर्थ है धर्म-रक्षा (जेहाद) में प्राण गंवाने वाला।

कुरान में भी शहीद शब्द है। इस्लाम के मानने वाले इस शब्द का उपयोग कर्बला के मैदान में जिहाद (धर्म युद्ध) में खलीफा इमाम अली और उनके बेटे हुसैन की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या को महाशहादत माना जाता है। जो मारे गए उन्हें शहीद कहा गया। इस्लाम मे धर्म की खातिर जान गँवाने वाले को शहीद कहा जाता है। भारत में इस शब्द की संस्कृति समझे बिना ही लोग किसी भी युद्ध,लड़ाई या आंदोलन में मरने वाले को शहीद कहने लगे। जैसे दिल्ली में (जंतर मंतर में) एक आंदोलन के दौरान पेड़ पर लटककर जान गँवानेवाले के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उसे शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की थी।

समाचार माध्यमों में अक्सर सुनाई देता है कि कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने फायरिंग कर पुलिस के एक जवान को शहीद कर दिया। भारतीय सेना या पुलिस की आधिकारिक शब्दावली में शहीद शब्द ही नही है। किसी युद्ध कार्य में जान गंवानेवाले सैन्य कर्मी के लिए “वीरगति” या “सर्वोच्च बलिदान” शब्द उपयोग में लाये जाते हैं। रक्षा मंत्रालय की शब्दावली में सेना और अर्द्ध सैनिक बलों में इसे “बैटल कैजुअल्टी” और पुलिस में “ऑपरेशन कैजुअल्टी” कहा जाता है। भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है इसलिए शहीद शब्द युद्ध कार्य में प्राणोत्सर्ग करने वाले सैनिकों के लिए नही किया जाता।

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