two-day-dari-festival-begins-in-salawas

सालावास में दो दिवसीय दरी फेस्टिवल शुरू

  • पश्चिमी राजस्थान की विरासतों को जानने-समझने और देश-दुनिया तक पहुंचाने का अनूठा प्रयास
  • यूनेस्को एवं राजस्थान पर्यटन का आयोजन
  • परम्परागत दरी निर्माण कौशल से रूबरू हुए प्रतिभागी

जोधपुर,पश्चिमी राजस्थान की विलक्षण सांस्कृतिक विरासत को जानने और देश-दुनिया में इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए यूनेस्को तथा राजस्थान पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित अभियान की शुरूआत शनिवार को हुई। हस्तशिल्प के लिए देश-दुनिया में मशहूर जोधपुर जिले के सालावास में इस अभियान के अन्तर्गत दो दिवसीय दरी फेस्टिवल शुरू हुआ। इसके शुभारंभ अवसर पर एनआईएफटी जोधपुर के निदेशक जीएचएस प्रसाद,आईआईटी जोधपुर के निदेशक शान्तनु चौधरी,सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की सीईओ तनेजा, इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डॉ.अजयवर्धन आचार्य,जोधपुर ट्रॉवेल टूरिज्म एसोसिएशन के प्रेसीडेन्ट जेएम बूब, मेहरानगढ़ के जगत सिंह राठौड़, पर्यटन विभाग की सहायक निदेशक डॉ. सरिता फिड़ौदा आदि उपस्थित थे।

two-day-dari-festival-begins-in-salawas

इस दौरान हस्तिशिल्पियों की ओर से विभिन्न प्रकार की दरियों का प्रदर्शन किया गया। इसमें एनआईएफटी के प्रशिक्षणार्थियों के साथ ही विरासतों पर शोध-अध्ययनरत विद्यार्थियों, हस्तशिल्पियों और जिज्ञासुओं ने परंपरागत दरी निर्माण से संबंधित जानकारी ली और हस्तशिल्पियों से संवाद कायम करते हुए इस कला की बारीकियों को समझा और वर्तमान समय की मांग के अनुरूप दरी निर्माण के बारे में चर्चा करते हुए दरी निर्माण के हुनर से संबंधित जानकारी का पारस्परिक आदान-प्रदान किया और व्यवहारिक तौर पर बारीकियों को जाना।

two-day-dari-festival-begins-in-salawas

उत्सव में पारम्परिक सांस्कृतिक रीति-रिवाजों,रहन-सहन के तौर- तरीकों,लोक जीवन के व्यवहारों आदि को देखने और समझने का अवसर पाकर प्रतिभागी अभिभूत हो उठे। इसमें दरी बुनने और देखने का अनुभव पाने के साथ ही दरी बुनाई के इतिहास,इस कला को जीवन्त रखने के लिए जारी प्रयासों,कलाकारों की समर्पित सहभागिता,हाथों से बनाई गई विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाने वालों से सीधे खरीदने का अवसर पाने के साथ ही ग्राम्य जीवन और हस्तशिल्पी कलाकारों के जीवन से रूबरू होकर उत्सव में आए सभी लोग गदगद हो उठे।

इस दौरान दरी बुनाई से जुड़ी गतिविधियों में जुड़े मालाराम सहित तमाम दरी निर्माताओं ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सालावास के दरी निर्माण के सफर पर जानकारी दी। पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पियों से भी यादगार चर्चा रही। दो दिवसीय उत्सव के अन्तर्गत सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। इसमें नेक मोहम्मद लंगा एवं कालुनाथ कालबेलिया के कलाकारों के समूहों ने पश्चिमी राजस्थान के पारंपरिक लोक गीतों और नृत्यों का आनंद लुटाने वाली बेहतर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर मन मोह लिया।सालावास में दरी फेस्टिवल 11 सितम्बर, रविवार को भी जारी रहेगा।

दूरदृष्टिन्यूज़ की एप्लिकेशन डाउनलोड करें-http://play.google.com/store/apps/details?id=com.digital.doordrishtinews