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दोधारी तलवार की धार पर है उत्तराखंड में बढ़ता पर्यटन

व्यवसायिक परिवेश पर थोड़ा नकेल कसने की भी जरुरत

दया जोशी

हल्द्वानी,हिमालयी क्षेत्र उत्तराखंड में पर्यटन की आमद बेतहासा बढ़ रही है। आगंतुकों की बढ़ी हुई संख्या का प्रभाव सभी तरह से सकारात्मक नहीं है। आगंतुकों की बढ़ती संख्या के दूरगामी परिणाम घातक ही सिद्ध होने की कगार पर ही ले जायेंगे,फिर चाहे वो आस्था को चोटिल करे या फिर पर्यावरण को। आस्था से लबरेज़ ये पर्वत श्रृंखलाएं हिंदूओं के लिए गहरा धार्मिक महत्व रखती हैं क्योंकि इसे देवता शिव का घर माना जाता है। इसलिए सदियों से हिंदू चोटियों पर स्थित कई मंदिरों,अभयारण्यों की यात्रा करने के लिए हिमालय की तीर्थ यात्रा करते थे।

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19वीं शताब्दी में भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों ने ‘हिल स्टेशनों’ के रूप में परिचय पाने वाले ग्रीष्मकालीन रिसॉर्ट्स का निर्माण शुरू किया ताकि वे गर्मी से बच सकें। हिमालयी क्षेत्र उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता हर साल में लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है लेकिन इतने सारे लोगों के इस क्षेत्र की यात्रा करने का एक मुख्य कारण खुद ऊंची चोटियों पर जाना है। हिमालयी क्षेत्रों का फलता-फूलता पर्यटन उद्योग उन प्रदेशों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ ला रहा है जो पर्वत श्रृंखला में आगंतुकों की मेजबानी करते हैं। पर्यटन आधारित आर्थिक विकास ने प्रदेश के दूरस्थ स्थलों में बहुत अधिक रोजगार भी सृजित किए हैं। जिसका अर्थ है कि जो लोग कभी कृषि उद्योग पर निर्भर थे,वे अब टूरिस्ट गाइड या आतिथ्य में काम कर सकते हैं। आर्थिक विविधीकरण इस क्षेत्र को वास्तविक लाभ पहुंचा रहा है परन्तु हिमालय में पर्यटन का पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। पर्वत श्रृंखला में व्यापक वनों की कटाई से निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है। जबकि वाहनों से प्रदूषण बढ़ रहा है और ट्रेकर्स और टूरिस्टों द्वारा कचरे को कभी-कभी अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है। नतीजतन शोधकर्ता चेतावनी दे रहे हैं कि क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता गंभीर खतरे में है। कुछ प्रजातियां अब विलुप्त होने का सामना कर रही हैं।

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पर्यटक उत्तराखंड में शानदार मंदिरों की प्रशंसा करने के लिए आश्चर्यजनक परिदृश्य का दौरा कर रहे हों या देवभूमि के पर्वतों की चोटी पर चढ़ रहे हों,यह स्पष्ट है कि अद्वितीय पर्वत श्रृंखला की रक्षा के लिए अधिकारियों को कार्यवाही करने की आवश्यकता है। ऐसा करने से वे यह सुनिश्चित करेंगे कि इस क्षेत्र की दुर्लभ सुंदरता और पर्यावरणीय महत्व को आने वाली कई पीढ़ियों के लिए सहेज सके।

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