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तिब्बत महिला विद्रोह दिवस पर विचार गोष्टी आयोजित

जोधपुर,भारत तिब्बत मैत्री संघ और भारत तिब्बत सहयोग मंच के संयुक्त तत्वावधान में तिब्बती विद्रोह दिवस पर रविवार को ‘तिब्बत का सच’ पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई।
महिला विंग की रेशम बाला ने बताया कि तिब्बत में 10 और 12 मार्च विद्रोह दिवस के रूप में अपने देश की आजादी की लड़ाई के रूप में माना जाता है। आज ही के दिन हजारों तिब्बती महिलाएं सड़कों उतरी और पोटला पैलेस के बाहर प्रदर्शन किया।

पुखराज जांगिड़ ने बताया कि तिब्बत के लिए एक जुटता जोधपुर ही नही पूरे भारत के लिए बनी रहेगी।
भारत तिब्बत सहयोग मंच के जिलाध्यक्ष धनश्याम वैष्णव ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज भी कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए चीन से अनुमति लेनी पड़ती है क्योंकि कैलाश मानसरोवर सनातन धर्म का है यह भारत का एक अभिन्न अंग है। जो अनुमति लेना बहुत गलत और असंवैधानिक है।

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जगदीश तंवर ने कहा कि तिब्बत की आजादी भारत की सुरक्षा है और चीन को तिब्बत छोड़ना पड़ेगा। भारत चीन सीमा नही भारत तिब्बत सीमा है। अधिवक्ता दीनदयाल पुरोहित ने कहा की हर तिब्बती को अपने अधिकारों की लड़ाई और अपने देश की आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में विद्रोह प्रदर्शन करना चाहिए, हम भारतवासी उनके साथ हैं। इस संगोष्ठी में महिला विंग की क्षमा पुरोहित,नीरमा गेंवा, संजीव व्यास,अंकित पुरोहित,महेश जांगिड़,नमन भंसाली,स्वरूप गोयल, सुखदेव प्रजापत,विकास,रणवीर सिंह, अनिल कुमार,सौरभ कुमार,हिंदू सिंह, जालम प्रजापत,महिपाल,हरी सिंह, गिरधर सिंह,नरेश और मांगीलाल की सहभागिता रही।

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